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कोर्ट की राह भूली दिल्ली पुलिस, जमानत की गली से निकल गया आरोपित, पढ़िये- यह हैरान करने वाली स्टोरी

विशाल चोपड़ा ने पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत में दायर जमानत अर्जी में कहा कि एक साल गुजर जाने के बाद भी स्पेशल सेल ने आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है जबकि कानून के मुताबिक 90 दिन में आरोपपत्र दाखिल किया जाना था।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 08:21 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 08:21 AM (IST)
कोर्ट की राह भूली दिल्ली पुलिस, जमानत की गली से निकल गया आरोपित, पढ़िये- यह हैरान करने वाली स्टोरी
पुलिस की इस कार्यशैली पर अदालत ने हैरानी जताई है।

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। जिस अदालत के पास विशेष मामलों को सुनने का अधिकार ही नहीं है, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने वहां आरोपपत्र दायर कर अपनी फजीहत करा ली। पुलिस की इस लापरवाही का लाभ जाली नोट तस्करी के आरोपित को मिला और उसने इस मामले के लिए अधिकृत अदालत से जमानत ले ली। पुलिस की कार्यशैली पर अदालत ने भी सवाल उठाए और भविष्य के लिए नसीहत दी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दिसंबर 2019 में 54 लाख रुपये के नकली नोट पकड़े थे। इसके अलावा करीब 16 लाख रुपये कीमत के अमेरिकी डालर भी बरामद किए थे। इस मामले में दरियागंज निवासी उनमान अमरोही उर्फ वान अंसारी सहित पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल अंसारी ने अधिवक्ता विशाल चोपड़ा के जरिये जमानत अर्जी दायर की।

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विशाल चोपड़ा ने पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत में दायर जमानत अर्जी में कहा कि एक साल गुजर जाने के बाद भी स्पेशल सेल ने आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है, जबकि कानून के मुताबिक 90 दिन में आरोपपत्र दाखिल किया जाना था। जमानत अर्जी पर अदालत ने पुलिस से जवाब मांगा गया। पुलिस ने अदालत को बताया कि तय समय पर अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया था, इसलिए आरोपित की जमानत अर्जी खारिज की जाए। जब अदालत ने कहा कि यहां तो इस संबंध में कोई आरोपपत्र दायर नहीं हुआ है। इस पर पुलिस ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया गया था।

पुलिस की इस कार्यशैली पर अदालत ने हैरानी जताई, क्योंकि यह केस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट (एनआइए) के तहत दर्ज हुआ था। स्पेशल सेल ने जिस ट्रायल कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल करने का दावा किया है, वह तो इस एक्ट के केस सुनने के लिए अधिकृत ही नहीं है।

अदालत ने पुलिस को नसीहत दी कि किस केस को कहां सुना जा सकता है, इसके लिए एक तय कानूनी प्रक्रिया है और शीर्ष अदालत भी इस संबंध में समय-समय पर आदेश जारी करती है। ऐसे में कार्यशैली में सुधार की जरूरत है। चूंकि, पुलिस ने अधिकृत अदालत में समय पर आरोपपत्र दाखिल नहीं किया, लिहाजा आरोपित को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत मंजूर की गई है।

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