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डॉक्टर की मेहनत और मरीज के हौसले से भी कई गंभीर मरीज हुए ठीक, पढ़िए कोरोना संक्रमित की कहानी

हरि नगर के रहने वाले डाक्टर मदन बेदी बल्लीमारान पालीक्लीनिक में मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हो गए। उनसे परिवार के अन्य लोग भी संक्रमित हो गए। इनमें पत्नी पूनम बेदी (56) व खुद डाक्टर बेदी की हालत ज्यादा बिगड़ गई।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 03:58 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 03:58 PM (IST)
डॉक्टर की मेहनत और मरीज के हौसले से भी कई गंभीर मरीज हुए ठीक, पढ़िए कोरोना संक्रमित की कहानी
कोरोना काल में डाक्टर की मेहनत और मरीज की हिम्मत ने गंभीर बीमारी को भी हरा दिया।

नई दिल्ली, [राहुल चौहान]। कोरोना काल में डाक्टर की मेहनत और मरीज की हिम्मत ने गंभीर बीमारी को भी हरा दिया। हरि नगर के रहने वाले डाक्टर मदन बेदी बल्लीमारान पालीक्लीनिक में मरीजों का इलाज करते हुए संक्रमित हो गए। उनसे परिवार के अन्य लोग भी संक्रमित हो गए। इनमें पत्नी पूनम बेदी (56) व खुद डाक्टर बेदी की हालत ज्यादा बिगड़ गई। आक्सीजन का स्तर कम होने पर उन्हें 10 अप्रैल को लोकनायक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जब आक्सीजन का स्तर 80 तक पहुंच गया तो उन्हें आइसीयू में भर्ती करना पड़ा।

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बेदी ने बताया कि डायबिटीज होने की वजह से उनकी रोग प्रतिरोध क्षमता पहले से ही कम थी। इसलिए संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया था। इस वजह से डाक्टरों को यह फैसला लेने में समस्या आ रही थी कि उन्हें स्टेरायड दिया जाए या नहीं। फिर डाक्टर कनिका व उनकी टीम ने स्टेरायड देने का फैसला किया। स्टेरायड देने से फेफड़ों का संक्रमण ठीक हुआ। हालांकि, डायबिटीज बढ़ गई। फिर इसे नियंत्रित करने के लिए डाक्टर ने इंसुलिन दी। इसके साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन भी देने पड़े। बेदी ने बताया कि इसके बाद पत्नी की भी हालत ज्यादा खराब हो गई तो 22 अप्रैल को उन्हें भी लोकनायक में भर्ती कराया। लेकिन, उनकी स्थिति बहुत नाजुक थी। एक दिन बाद ही उनकी इलाज के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। इससे उन्हें गहरा सदमा लगा। लेकिन डाक्टरों ने उन्हें काफी समझाया और उन्हें खुद को संभालने व हिम्मत रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

पत्नी की मौत के चार दिन बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई। फिर उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली। वह 15 दिन तक आइसीयू में रहे उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान घर वालों ने भी काफी हिम्मत दी। अस्पताल के डाक्टर उनकी परिजनों से वीडियो काल पर बात कराते थे। घर पर उनका 11 साल का बेटा जैसल रह गया था। वह भी मुझे जल्दी ठीक होने और अपना ख्याल रखने की हिम्मत देता था। उन्होंने बताया कि डाक्टरों द्वारा डायबिटीज के बावजूद स्टेरायड देने और फिर इंसुलिन से बढ़ी हुई डायबिटीज को नियंत्रित करने से ठीक होने में मदद मिली। इसके लिए वह डाक्टर कनिका व लोकनायक अस्पताल की पूरी टीम का धन्यवाद करते हैं। अगर डायबिटीज नियंत्रित नहीं होती तो शायद फेफड़ों का संक्रमण और गंभीर हो सकता था।


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