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पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ रहा अपराध का ग्राफ, आम लोग भी बन रहे हैं शिकार

पुलिस की निष्क्रियता से अपराध बढ़ रहे हैं। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पांच महीने में अपराध की घटनाओं में खासा इजाफा हुआ है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 08:39 PM (IST)
पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ रहा अपराध का ग्राफ, आम लोग भी बन रहे हैं शिकार
पुलिस की निष्क्रियता से बढ़ रहा अपराध का ग्राफ, आम लोग भी बन रहे हैं शिकार

नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली में बदमाशों के अंदर पुलिस का खौफ समाप्त हो चुका है। यही कारण है कि गैंगवार, हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, लूटपाट, डकैती, वाहन चोरी आदि संगीन आपराधिक घटनाओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। गैंगस्टर एक दूसरे को सरेआम सड़कों पर दौड़ाकर गोली मार रहे हैं। गैंगवार की घटनाओं में आपराधिक तत्व तो मारे ही जा रहे हैं पर बदमाशों की गोलियों का शिकार निर्दोष राहगीर भी बन रहे हैं।

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सुरक्षित नहीं हैं महिलाएं 

पुलिस की निष्क्रियता से अपराध बढ़ रहे हैं। गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पांच महीने में अपराध की घटनाओं में खासा इजाफा हुआ है। साथ ही जघन्य आपराधिक मामलों को सुलझाने की दर भी पहले से काफी कम हुई है। दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के प्रति अपराध में भी खासा इजाफा हुआ है। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद कुछ महीने तक तो दिल्ली पुलिस महिला अपराध के मामले में बेहद सतर्क दिखी, लेकिन बाद में हालात पहले जैसे हो गए।

इसलिए अपराध का ग्राफ बढ़ा दिख रहा है

दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों की दलील है कि पुलिसकर्मियों को हर अपराध का मुकदमा दर्ज करने का निर्देश है। पहले से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो रहे हैं, इसलिए अपराध का ग्राफ बढ़ा दिख रहा है। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2017 में शुरुआत के पांच महीने में दिल्ली में हत्या की 204 घटनाएं हुई थीं, जबकि इस वर्ष 31 मई तक इसकी संख्या 207 पहुंच गई है। फिरौती के लिए अपहरण के मामले भी बढ़े हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े 

गत वर्ष फिरौती के लिए अपहरण के आठ मुकदमे दर्ज किए गए थे। इस वर्ष अब तक इसके 12 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पुलिस द्वारा महिला सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दावे भी फेल होते दिख रहे हैं। गत वर्ष दुष्कर्म की 851 घटनाएं दर्ज हुई थीं, वहीं इस वर्ष अब तक इसके 888 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

अपराधियों को जल्द जमानत मिल जाती है

वाहन चोरी की घटनाएं भी पिछले के साल के मुकाबले बढ़ी हैं। पिछले वर्ष इसके 16,397 मामले दर्ज हुए थे, जबकि इस वर्ष अब तक वाहन चोरी के 18,157 मामले दर्ज हो चुके हैं। अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाने में भी पुलिस विफल साबित हो रही है। कमजोर गवाह और सबूत के कारण अपराधियों को जल्द जमानत मिल जा रही है। लिहाजा, बाहर आकर वह दोबारा से आपराधिक वारदात कर रहे हैं। हालाकि, अधिकारियों का दावा है कि पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है। पुलिस अपराध पर अंकुश लगाने में जुटी हुई है।

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अपराध वर्ष 2017- वर्ष 2018
हत्या---204--207
फिरौती के लिए अपहरण--8--12
दुष्कर्म---851--888
वाहन चोरी-16,397--18,157
नोट-इस वर्ष जनवरी से मई तक के तुलनात्मक आंकड़े हैं। 


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