सीएम की इस योजना से किसानों की होने वाली है बल्ले-बल्ले, हर साल मिलेंगे 77000 रुपये
Arvind Kejriwal दिल्ली कैबिनेट की बैठक किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आई है। इस बैठक में यह निर्णय हुआ है कि किसानों को हर साल 77 हजार रुपये मिलेंगे।
नई दिल्ली, (राज्य ब्यूरो)। Rain Water Storage Project मुख्यमंत्री केजरीवाल की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें यमुना फ्लड प्लेन (यमुना डूब) क्षेत्र में प्राकृतिक तरीके से जल संग्रहण करने के देश के अपने तरह के पहले पायलट प्रोजेक्ट से संबंधित विभागीय कमेटी (इंटर-डिपार्टमेंटल) की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई। इसके तहत परियोजना के लिए लीज पर ली जाने वाली जमीन के लिए किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 77 हजार रुपये (सालाना किराया भुगतान) दिए जाएंगे। किसानों को दी जाने वाली राशि पहले 50 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रस्तावित थी, जोकि बढ़ाई गई है।
दिल्ली में पानी की कमी को दूर करने के लिए यह बेहद अहम परियोजना है, जिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार नजर रखे हुए हैं। परियोजना के तहत यमुना डूब क्षेत्र में पल्ला और वजीराबाद के बीच बाढ़ के पानी का संग्रहण किया जाएगा।
परियोजना के तहत डूब क्षेत्र में छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएंगे, जिनमें बारिश के दौरान यमुना में बहने वाले पानी को जमा किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट से संबंधित कई विषयों पर स्वीकृति मिल गई है। केवल दो विषयों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की कमेटी की स्वीकृति मिलनी है।
बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरङ्क्षवद केजरीवाल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की। केंद्रीय मंत्री ने जल्द ही स्वीकृति देने की बात कही। इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए केंद्र की तरफ से दिल्ली को पूर्ण सहयोग देने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को धन्यवाद दिया। इस परियोजना की तैयारी के लिए सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग को अब एक महीने का वक्त मिला है।
सीएम की इंजीनियरिंग बैकग्राउंड का मिल रहा लाभ
इस परियोजना पर काम इसलिए बहुत तेजी से हो पा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री निजी तौर पर पल-पल इसकी निगरानी कर रहे हैं। वह इसे गति और सही दिशा दे रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने आइआइटी खड्गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।
इंजीनियरिंग बैकग्राउंड होने के वजह से वह परियोजना से जुड़ी हर छोटी-छोटी बात पर गौर कर लेते हैं। गौरतलब है कि यमुना डूब क्षेत्र में बाढ़ के पानी के संग्रहण की देश की अपनी तरह की यह पहली परियोजना है। पानी के रिसाइकिल और रिचार्ज का फार्मूला ज्यादातर विकसित देश अपनाते हैं।