दिल्ली हाई कोर्ट को DU ने बताया, डिजिटल डिग्री के लिए ले रहा 750 रुपये
डीयू ने पीठ को सूचित किया कि उसने डिजिटल डिग्री की मांग करने वाले छात्रों से 750 रुपए वसूलना शुरू कर दिया है। डीयू ने बताया कि यह शुल्क कागजी डिग्री के लिए नहीं वसूली जा रही है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से पूछा कि हलफनामा दाखिल करके बताए कि डिजिटल डिग्री के लिए 750 रुपये वसूलने का आधार क्या है? न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने यह सवाल तब किया जब डीयू ने पीठ को सूचित किया कि उसने डिजिटल डिग्री की मांग करने वाले छात्रों से 750 रुपए वसूलना शुरू कर दिया है। डीयू ने बताया कि यह शुल्क कागजी डिग्री के लिए नहीं वसूली जा रही है। याचिका पर अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
अदालत ने यह दिशानिर्देश पास होने के बाजवूद भी डिग्री नहीं उपलब्ध कराने को लेकर विभिन्न छात्रों की तरफ से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी। छात्रों ने कहा था कि डिग्री नहीं होने से वे विदेश में उच्च शिक्षा या आगे की पढ़ाई के लिए नामांकन नहीं कर पा रह हैं। ऐसे में डीयू को निर्देश दिया जाए कि वह उनकी डिग्री प्रदान करें।
डीयू ने हाई कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर यह भी बताया है कि जिन छात्रों ने वर्ष 2017 से पहले पास कर लिया है, उनकी कागजी डिग्री संबंधित कॉलेजों को भेज दी गई है। हालांकि, जिन छात्रों ने वर्ष 2017 में परीक्षा पास की है उनमें से 10550 छात्रों का कागजी डिग्री मिल चुका है और उसे संबंधित कॉलेज में भेज दिया जाएगा। साथ ही उसी वर्ष के लगभग 57496 छात्रों का अंकतालिका भी मिल चुका है। सभी को डिजिटल लॉकर में भेज दिया गया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि 2017 के स्नातक व स्नातकोत्तर 5579 छात्रों का डीजल डिग्री जारी कर दिया गया है। उसी तरह से उसके अगले सत्र के छात्रों को भी जारी कर दिया जाएगा।
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