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EXCLUSIVE: दिल्ली में बिखर सकता है शिरोमणि अकाली दल बादल, DSGMC की राजनीति में बदलेंगे रंग

DSGMC News शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) नेतृत्व के सामने अपनी पार्टी को एकजुट रखने की चुनौती है। इसके नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के नवनिर्वाचित सदस्य भाजपा में अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने लगे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 25 Dec 2021 08:31 PM (IST)Updated: Sat, 25 Dec 2021 08:36 PM (IST)
EXCLUSIVE: दिल्ली में बिखर सकता है शिरोमणि अकाली दल बादल, DSGMC की राजनीति में बदलेंगे रंग
नेता तलाशने लगे हैं भाजपा में अपना राजनीतिक भविष्य।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली की सिख राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) नेतृत्व के सामने अपनी पार्टी को एकजुट रखने की चुनौती है। इसके नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के नवनिर्वाचित सदस्य भाजपा में अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने लगे हैं। आने वाले दिनों में कई सदस्य भाजपा का दामन थाम सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो डीएसजीएमसी का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा। इसे लेकर शिअद बादल नेतृत्व सकते में है।

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दिल्ली में भाजपा अबतक सिख मतदाताओं के लिए शिअद बादल पर निर्भर है। दोनों पार्टियों के बीच वर्षों पुराना राजनीतिक गठबंधन टूटने के बाद भाजपा सिखों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। हालांकि, तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों के आंदोलन से भाजपा की इस कोशिश को झटका लगा था। लेकिन, अब स्थिति बदल गई है। प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सिख नेताओं का रुझान भाजपा की ओर बढ़ रहा है। दिल्ली में अकाली दल का चेहरा माने जाने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा ने पार्टी छोड़कर भाजपा के पाले में खड़े हो गए हैं। पार्टी के उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह भोगल ने भी गत दिवस भाजपा की सदस्यता ले ली है। दिल्ली के कई अन्य अकाली नेता अपनी राजनीतिक आस्था बदलने के लिए तैयार बताए जाते हैं।

पार्टी की सबसे बड़ी चिंता डीएसजीएमसी के नवनिर्वाचित सदस्यों को लेकर हैं। बताया जाता है कि सिरसा के नजदीकी माने जाने वाले 15 से ज्यादा सदस्य किसी भी समय पाला बदल सकते हैं। इन्हें किस तरह से और कब भाजपा में शामिल कराना है इसे लेकर मंथन चल रहा है। सिरसा व अन्य भाजपा नेताओं की ज्यादा से ज्यादा संख्या में निर्वाचित सदस्यों को अपने साथ खड़ा करने की है जिससे कि डीएसजीएमसी में उनकी पसंद का अध्यक्ष बन सके। इससे दिल्ली की सिख राजनीति में भाजपा का दबदबा बढ़ेगा और इसका असर पंजाब विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा।

अकाली दल के पास डीएसजीएमसी के 46 में से 28 निर्वाचित और दो नामित सदस्य हैं। इस संख्या बल के आधार पर वह डीएसजीएमसी में अपना अध्यक्ष बना सकता है परंतु सभी सदस्यों को एकजुट रखना उसके लिए मुश्किल है। वहीं, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के पास 13 निर्वाचित और एक नामित सदस्य है। जग आसरा गुरु ओट (जागो) के पास तीन निर्वाचित और एक नामित सदस्य हैं। जागो के साथ ही पंथक लहर का एक और एक निर्दलीय सदस्य ने सरना गुट को समर्थन करने की घोषणा की है। लेकिन, शिअद बादल में टूट होने की स्थिति में इन पार्टियों की रणनीति बदल सकती है।


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