कम हो रहे जलाशयों की वजह से दिल्ली-NCR में घट रहे ड्रैगनफ्लाई, ये कारण भी है अहम
सेंसस कार्यक्रम में शामिल रहे यमुना बायाडावर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक इंचार्ज डॉ. फयाज खुदसर ने बताया कि ड्रैगनफ्लाई एक तरह से मच्छरों का जैविक कंट्रोल है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली-एनसीआर में लगातार कम हो रहे जलाशयों की संख्या के कारण ड्रैगनफ्लाई भी घटते जा रहे हैं। ड्रैगनफ्लाई साफ पानी वाले जलाशयों में ही पनपते हैं, इसलिए दिल्ली-एनसीआर में इनको अपने रहने के अनुकूल वातावरण नहीं मिल पा रहा है। ये बातें शनिवार को आयोजित किए गए ड्रैगनफ्लाई सेंसस में सामने आई हैं।
ड्रैगनफ्लाई फेस्टिवल
यह सेंसस डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) की ओर से आयोजित ड्रैगनफ्लाई फेस्टिवल के तहत किया गया। 11 टीमों में शामिल करीब 30 लोगों ने अलग-अलग लोकेशन पर गणना की। इससे पहले राजधानी में वर्ष 1996 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से ऐसा सेंसस आयोजित किया गया था।
यहां की गई गणना
असोला भाटी वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क, नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क, ओखला बर्ड सैंक्चुरी, धनुवारी वेटलैंड, सूरजपुर वेटलैंड, नजफगढ़ वेटलैंड, बसाई वेटलैंड, लोधी गार्डन, संजय वन, और अरावल बायोडायवर्सिटी पार्क में ड्रैगनफ्लाई की गणना की गई। इस सेंसस में ड्रैगनफ्लाई की करीब 17 स्पेशीज पाई गई हैं। इनकी अंतिम सूची पहले सितंबर को जारी की जाएगी।
ड्रैगनफ्लाई एक तरह से मच्छरों का जैविक कंट्रोल है
पुराने रिकॉर्ड के मुताबिक दिल्ली में ड्रैगनफ्लाई की 51 स्पेशीज हैं। इस फेस्टिवल के जरिए दिल्ली में हर साल ड्रैगनफ्लाई की गणना किए जाने की व्यवस्था की जा रही है। सेंसस कार्यक्रम में शामिल रहे यमुना बायाडावर्सिटी पार्क के वैज्ञानिक इंचार्ज डॉ. फयाज खुदसर ने बताया कि ड्रैगनफ्लाई एक तरह से मच्छरों का जैविक कंट्रोल है।
पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाता है
ड्रैगनफ्लाई साफ पानी में लार्वा के रूप में रहता है। इस दौरान यह मच्छरों के लार्वा को खा जाता है। इस तरह मच्छरों की संख्या नियंत्रित रहती है। पारिस्थितिकी तंत्र को भी यह मजबूत बनाता है। ड्रैगनफ्लाई के लार्वा को मेंढक अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं।