दिल्ली में डॉक्टरों ने व्यक्ति के कटे हुए हाथ को दोबारा जोड़ा, दिया नया जीवन
अस्पताल के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डा. अनुभव गुप्ता ने कहा कि इस तरह के हादसे में कटे हुए हाथ को तीन से चार घंटे में आपरेशन करना जरूरी होता है। माइक्रो सर्जरी के जरिये पीडि़त के हाथ की हड्डियों नसों व मांसपेशियों को जोड़ा गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने 36 वर्षीय व्यक्ति के कटे हुए हाथ को दोबारा जोड़ दिया। डाक्टरों ने यह सर्जरी पिछले माह 21 जनवरी को की थी। सर्जरी के बाद पीड़ित व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार है। डाक्टर कहते हैं कि पीड़ित का हाथ ठीक काम करने लगेगा। इंद्रपाल बादली इलाके के प्रहलादपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक फैक्ट्री में काम करते हैं। काम के दौरान एक भारी वस्तु गिरने के कारण उनके बाएं हाथ की कोहनी के नीचे का हिस्सा कटकर अलग हो गया।
इसके अलावा हाथ की मांसपेशियां पूरी तरह कुचल गईं थीं। फैक्ट्री मालिक शरद ने समझदारी दिखाते हुए तुरंत कटे हुए हाथ को साफ पालिथीन में रखा और उसे बंद करने के बाद बर्फ से भरे दूसरे पालिथीन में रखकर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डा. अनुभव गुप्ता ने कहा कि इस तरह के हादसे में कटे हुए हाथ को तीन से चार घंटे में आपरेशन करना जरूरी होता है।
माइक्रो सर्जरी के जरिये पीड़ित के हाथ की हड्डियों, नसों व मांसपेशियों को जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि इन दिनों सर्जरी से पहले हर मरीज की कोरोना जांच कराई जाती है। जांच रिपोर्ट आने में वक्त लगता है। इसलिए पीड़ित की जांच रिपोर्ट का इंतजार नहीं किया गया। डॉक्टरों ने बचाव के उपायों के साथ सर्जरी की। हालांकि, बाद में पीड़ित की रिपोर्ट निगेटिव आई। उन्होंने कहा कि हाथ कटने जैसी घटना होने पर यह ध्यान रखना चाहिए कि कटा हुआ अंग पालिथीन में पैक करने के दौरान बर्फ के सीधे संपर्क में नहीं आना चाहिए।
पानी की कमी को दूर करने दिया जाता है एनएस
वहीं, शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश चंद अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर अंकित गुप्ता ने बताया कि शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए नार्मल सैलाइन (एनएस) दिया जाता है। यह शरीर में नमक और इलेक्ट्रोलाइट के स्तर को पुन:स्थापन करने में मदद करता है। दिमाग को तेज करने और कद बढ़ाने में एनएस काम नहीं करता है। एनएस कोई गलत असर नहीं करेगा, फिर भी जिन बच्चों के कूल्हे की मांसपेशियों में यह इंजेक्शन लगाया गया है, उनके स्वास्थ्य की जांच भी होनी चाहिए। ताकि यह पता चल सके, बच्चों को गलत तरीके से तो इंजेक्शन नहीं लगा दिया गया है।