एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के इस फैसले पर डाक्टर खड़े कर रहे हैं सवाल? जानिए क्या है पूरा मामला
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग ने एक बार दिखा चुके पुराने मरीजों के फालोअप जांच के लिए दोपहर का क्लीनिक शुरू किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस फालोअप क्लीनिक में मरीजों के इलाज के लिए कोई वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर व फैकल्टी नहीं रहेगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स के मनोचिकित्सा विभाग ने एक बार दिखा चुके पुराने मरीजों के फालोअप जांच के लिए दोपहर का क्लीनिक शुरू किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस फालोअप क्लीनिक में मरीजों के इलाज के लिए कोई वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर व फैकल्टी नहीं रहेगा। सिर्फ जूनियर रेजिडेंट डाक्टर ही मरीज को देखेंगे। बहुत जरूरी हुआ तो जूनियर रेजिडेंट डाक्टर वरिष्ठ डाक्टर से सलाह ले लेंगे, लेकिन मरीज किसी फैकल्टी स्तर के डाक्टर या वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर से सीधे अपनी परेशानी बताकर चिकित्सकीय परामर्श नहीं ले पाएंगे। उन्हें जूनियर रेजिडेंट डाक्टर की बातों पर ही भरोसा करना पड़ेगा। इस बाबत मनोचिकित्सा विभाग ने मंगलवार को दिशा निर्देश जारी किया है। विभाग के इस फैसले पर संस्थान के रेजिडेंट डाक्टर सवाल खड़े कर रहे हैं।
डाक्टर कहते हैं कि इस फैसले से मरीजों के इलाज की गुणवत्ता प्रभावित होगी। बहरहाल, विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि फैकल्टी व वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर सुबह ओपीडी में नए मरीजों को देखेंगे। दोपहर में फालोअप क्लीनिक चलेगा, जिसमें सिर्फ जूनियर रेजिडेंट डाक्टर मौजूद रहेंगे। एम्स के डाक्टर कहते हैं कि पहली बार में कई नए मरीजों की बीमारी का सही पता नहीं चल पाता। कई जांच के बाद बीमारी पकड़ में आती है। इस दौरान मरीज को कई बार ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचना पड़ता है। एक वरिष्ठ डाक्टर ने कहा कि मानसिक बीमारियों में कई बार बदलाव भी देखा जाता है। नियमानुसार जूनियर रेजिडेंट डाक्टर क्लीनिक में अकेले इलाज नहीं कर सकते। क्योंकि वे मेडिकल स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे होते हैं।
सवाल यह है कि यदि मरीज को कोई गंभीर बीमारी हुई तो उसे किस तरह का इलाज मिलना चाहिए, यह फालोअप क्लीनिक में कौन तय करेगा? एम्स रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन पहले भी रेजिडेंट डाक्टरों पर इलाज के अधिक दबाव और उनमें मानसिक तनाव का मुद्दा उठा चुका है। पिछले साल ही विभाग के एक रेजिडेंट डाक्टर ने आत्महत्या कर ली थी। फालोअप क्लीनिक में सिर्फ जूनियर रेजिडेंट की ड्यूटी के संदर्भ में मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डा. आरके चड्ढा ने कहा कि इस मामले का गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। दोपहर के क्लीनिक में सिर्फ फालोअप वाले मरीज देखे जाएंगे। मरीज को सिर्फ एक डाक्टर नहीं देखते। जूनियर डाक्टर के अलावा वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर व फैकल्टी स्तर के डाक्टर भी मौजूद होंगे।