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आइएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन का बड़ा बयान, लॉकडाउन लगाना नहीं है कोरोना का निदान

one year of Janata Curfew लॉकडाउन लगाना इस महामारी का निदान नहीं है। अब लॉकडाउन संभव नहीं है और मुश्किल भी है। हमें यह नहीं मालूम कि महामारी कब तक रहेगी। ऐसे में हमें सावधानी बरतनी होगी। मास्क सबसे महत्वपूर्ण है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 10:00 AM (IST)
आइएलबीएस के निदेशक डॉ. एसके सरीन का बड़ा बयान, लॉकडाउन लगाना नहीं है कोरोना का निदान
लोगों ने मास्क पहनना भी कम कर दिया था। यह भी संक्रमण बढ़ने का कारण हो सकता है।

नई दिल्ली। देश के अन्य राज्यों की तरह राजधानी दिल्ली में भी पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले बढ़े हैं। स्थिति ये है कि इस समय रोज 800 से अधिक नए मामले सामने आने लगे हैं। इसके कारणों, कोरोना की रोकथाम के उपायों और संक्रमण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) के निदेशक डॉ. एसके सरीन से रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-

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  कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, इसके क्या कारण हो सकते हैं?

-बहुत मुश्किल से दिल्ली सहित देश में कोरोना के संक्रमण से राहत मिली थी। अब एक बार फिर बढ़ते संक्रमण से आम लोगों के साथ-साथ संबंधित एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो कोरोना वायरस का प्राकृतिक स्वभाव भी ऐसा है कि संक्रमण चरम पर पहुंचने के बाद कम होता है। लेकिन, कुछ समय बाद संक्रमण दोबारा बढ़ने लगता है। वहीं, मामले कम होने पर लोगों ने मास्क पहनना भी कम कर दिया था। यह भी संक्रमण बढ़ने का कारण हो सकता है।

सीरो सर्वे में दिल्ली में 56 फीसद लोगों में कोरोना की एंटीबाडी पाई गई थी, फिर भी मामलों का बढ़ना किस ओर इशारा कर रहा है?

-44 फीसद लोग ऐसे भी थे जो सीरो पाजिटिव नहीं थे। उनमें एंटीबाडी नहीं पाई गई थी। इसका मतलब यह हुआ कि 56 फीसद सीरो पाजिटिव रिपेार्ट आने के बावजूद दिल्ली में करीब एक करोड़ आबादी ऐसी है जो संक्रमण से बची हुई है। उसे संक्रमण होने का खतरा अधिक है। दूसरी बात यह है कि सीरो सर्वे के लिए सभी सैंपल की जांच आइएलबीएस में ही हुई थी। सीरो पाजिटिव पाए गए 56 फीसद लोगों में से सिर्फ आधे लोगों में ही पर्याप्त न्यूट्रलाइजिंग एंटीबाडी पाई गई थी। शेष आधे लोगों में इतनी पर्याप्त एंटीबाडी नहीं थी कि वे कोरोना के संक्रमण से बच सकें। इसलिए दोबारा संक्रमण होने का भी खतरा है।

- कई शहरों में लाकडाउन लगाया गया है, यह कितना प्रभावी विकल्प है, क्या दिल्ली में भी दोबारा लाकडाउन की स्थिति बन सकती है?

-लॉकडाउन लगाना इस महामारी का निदान नहीं है। अब लॉकडाउन संभव नहीं है और मुश्किल भी है। हमें यह नहीं मालूम कि महामारी कब तक रहेगी। ऐसे में हमें सावधानी बरतनी होगी। मास्क सबसे महत्वपूर्ण है। घर से बाहर निकलने पर मास्क हमेशा पहना है। दूसरी बात यह है कि टीका लगवाना जरूरी है। टीकाकरण जितनी जल्दी होगा, उतनी ही जल्दी महामारी रोकने में मदद मिलेगी। बच्चों के टीकाकरण की मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए बच्चों को अभी बचाए रखना ज्यादा जरूरी है।

 फिर से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच क्या स्कूल खोले जाने चाहिए?

-अभी कोरोना का संक्रमण जिस तरह से बढ़ रहा है उससे स्कूल सावधानी पूर्वक चरणबद्ध तरीके से ही खोले जाने चाहिए। यदि कोरोना के मामले बढ़ते जाएंगे तो गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए यह देखना होगा कि अगले 10 दिन कैसी स्थिति रहती है। मामले बढ़े तो चिंता का विषय होगा। मौजूदा परिस्थिति में छोटे बच्चों का स्कूल खोल पाना संभव नहीं होगा।

कोरोना की रोकथाम और बचाव के लिए और क्या किए जाने की जरूरत है?

-60 साल से अधिक और गंभीर बीमारी से पीड़ित 45 साल से अधिक उम्र के लोग तुरंत कोरोना का टीका लगवा लें। सरकार भी प्रयास कर रही है कि सभी उम्र के लोगों को टीका लग जाए। पहले यह देखा गया था कि कोरोना के कारण ज्यादा मौतें बुजुर्गों व पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों की हुईं। स्वास्थ्य कर्मियों व अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को संक्रमण का जोखिम अधिक था। लिहाजा इन वर्गों के लोगों का पहले टीकाकरण शुरू हुआ। अब यह देखना होगा कि किस उम्र के लोगों में कोरोना का संक्रमण अधिक बढ़ रहा है? यह भी देखा जाना चाहिए कि कहीं यूके स्ट्रेन या किसी नए म्यूटेंट वायरस के कारण तो संक्रमण नहीं फैला रहा है? इसलिए जीनोम सिक्वेंसिंग अधिक से अधिक करना होगा। ताकि यदि वायरस में कोई म्यूटेशन हुआ तो उसका पता लगाया जा सके। यदि युवा और 50 साल से कम उम्र वाले लोग अधिक संक्रमित हो रहे हैं तो उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है। लोग मास्क का इस्तेमाल करें और बाजारों में शारीरिक दूरी का ध्यान रखें। दफ्तरों में भी मास्क का इस्तेमाल करें।


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