एसएमएस की गलतफहमी और डॉक्टर को एनआइए के समक्ष देनी पड़ी हाजिरी
डॉ. कौल ने बताया कि एक संदेश के जरिये शायद मलिक कोई रिपोर्ट या कुछ और भेजना चाह रहा था। लेकिन एनआइए अधिकारी उसे गलती से कुछ और समझ बैठे।
नई दिल्ली, जेएनएन। खून की जांच रिपोर्ट को लेकर पैदा हुई एक गलतफहमी के कारण दिल्ली के एक मशहूर हृदयरोग विशेषज्ञ को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के समक्ष पेश होना पड़ा। कश्मीरी अलगाववादी के साथ कथित संबंधों को लेकर एजेंसी ने बत्रा हॉस्पिटल के चेयरमैन उपेंद्र कौल को समन जारी किया था। शुक्रवार को एनआइए ने उनसे करीब आधे घंटे तक पूछताछ की।
दरअसल, कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक डॉ. कौल का मरीज रहा है। मलिक करीब दो दशकों से उनसे इलाज कराता रहा है। उसके साथ एक एसएमएस संवाद ने एनआइए का ध्यान खींचा। मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।
डॉ. कौल ने बताया कि एक संदेश के जरिये शायद मलिक कोई रिपोर्ट या कुछ और भेजना चाह रहा था। लेकिन, एनआइए अधिकारी उसे गलती से इंडियन नेशनल रुपीज (आइएनआर) 2.78 करोड़ या कुछ और समझ बैठे। जब उन्होंने मुझे बुलाया तो मैंने उन्हें समझा दिया कि यह इंटरनेशनलाइज्ड नॉर्मलाइज्ड रैशियो 2.78 है।'
उन्होंने बताया कि मलिक ने उन्हें दिल संबंधी बीमारी के लिए संपर्क किया था। डॉ. कौल ने बताया, 'मुझे आतंकी संगठन को रुपये ट्रांसफर करने के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। मुझसे नम्रतापूर्वक सवाल पूछे गए और मैंने उनका विनम्रता से जवाब दिया।' जिस मामले में डॉ. कौल को समन किया गया था वह वर्ष 2017 से जुड़ा था।
तब एनआइए ने आतंकी फंडिंग को लेकर जांच शुरू की थी। हाल के दिनों में कौल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर सरकार की आलोचना करते रहे हैं। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हम लोग हर किसी की जांच कर रहे हैं। बड़ी संख्या में दस्तावेजों की जांच जारी है, ताकि कानूनी मोर्चे पर वह कारगर साबित हों।'