दिल्ली से जारी रिपोर्ट में खुलासा, गुरुग्राम में डेंगू का वायरस नहीं बनेगा मौत का कारण
वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर काजल कुमुद का कहना है कि सेरो टाइप-1 और 3 ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन सेरो टाइप -2 व 4 ज्यादा खतरनाक होता है।
गुरुग्राम (जेएनएन)। इस बार शहर में डेंगू ज्यादा खतरनाक नहीं होगा। नेशनल मलेरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार गुरुग्राम में सेरो टाइप-3 डेंगू वायरस रहेगा। इससे मरीज की मौत होने का खतरा कम होता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2016 में एनसीआर में सेरो टाइप-2 का डेंगू था, जो खतरनाक था। इसमें मरीज की मौत होने का डर बना रहता है। शहर में वर्ष 2017 में सेरो टाइप-3 का डेंगू बुखार रहा था। रिसर्च में बताया गया है कि अभी तक एनसीआर के शहरों में सेरो टाइप-2 का डेंगू रहा है, लेकिन 2017 व 2018 में सेरो टाइप-3 डेंगू मिला है।
जिला नागरिक अस्पताल की वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर काजल कुमुद का कहना है कि सेरो टाइप-1 और 3 ज्यादा खतरनाक नहीं होता है, लेकिन सेरो टाइप -2 व 4 ज्यादा खतरनाक होता है। वहीं, डेंगू के चारों स्टेज में सेरो टाइप-1 और 3 कम खतरनाक इसलिए होता है कि यह मरीज को तेजी से नुकसान नहीं पहुंचाता। जबकि सेरो टाइप-1 और 4 डेंगू वायरस तेजी से मरीज को कमजोर करता है।
डॉ. गुलशन अरोड़ा (सिविल सर्जन) के मुताबिक, नेशनल मलेरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार यह राहत की बात होगी कि डेंगू का वायरस इस बार ज्यादा खतरनाक नहीं होगा, लेकिन डेंगू मच्छर के काटने से बुखार और प्लेटलेट्स संख्या कम होने के चांस रहेंगे। इसलिए बचाव के प्रबंध पर ध्यान देना ही होगा।