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मौसम विशेषज्ञों की अपील- आंधी से डरें नहीं और न ही फैलाएं दहशत

कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी आंधी और बारिश दिल्ली-एनसीआर के लिए नई नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 07 May 2018 07:02 PM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 07:26 PM (IST)
मौसम विशेषज्ञों की अपील- आंधी से डरें नहीं और न ही फैलाएं दहशत
मौसम विशेषज्ञों की अपील- आंधी से डरें नहीं और न ही फैलाएं दहशत

नई दिल्ली (जेएनएन)। सोशल साइटस पर चल रही तमाम अफवाहों के बीच मौसम विशेषज्ञों ने मंगलवार को आने वाले आंधी-तूफान को सामान्य करार दिया है। यह भी कहा है कि प्री मानसून सीजन में ऐसी गतिविधियां हर साल होती हैं, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है। सिर्फ सतर्क रहें और दहशत न फैलाएं। दिल्ली एनसीआर में तो वैसे भी आंधी-बारिश की गहनता अधिक नहीं रहेगी।

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प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र, दिल्ली के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने जागरण से बातचीत में बताया कि इस आंधी-तूफान और बारिश की मुख्य वजह जम्मू-कश्मीर और हिमालय क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय होना है। साथ ही उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में चक्रवाती हवा चलना भी है। यह दोनों ही मौसम की सामान्य गतिविधि हैं और इस सीजन में हर साल होती हैं।

हालांकि, इस साल सोलर हीटिंग बढ़ने और हवा में नमी ज्यादा होने से बार बार ऐसी स्थिति बन रही है। कुलदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि मंगलवार को दोपहर बाद 50-60 किमी से लेकर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से धूल भरी आंधी चलेगी। चूंकि हवाओं में नमी है, इसलिए बाद में तेज बारिश होने की भी संभावना है। हालांकि, इसका प्रभाव सभी जगह एक सा नहीं रहेगा।

पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह मजबूत रहेगा, जबकि दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में अपेक्षाकृत हल्का रहेगा। यहां आंधी की गति 50 से 60 कि.मी. प्रति घंटे तक ही रहेगी। बारिश भी कहीं हल्की और कहीं ठीक-ठाक होगी। आंधी का रुख पश्चिम से पूर्व दिशा की तरफ रहेगा।  कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी आंधी और बारिश दिल्ली-एनसीआर के लिए नई नहीं है।

लिहाजा तनाव की कोई बात नहीं है। तेज आंधी से कुछ जगह पेड़ अवश्य गिर सकते हैं और होर्डिग्स वगैरह भी गिरते ही रहते हैं। इससे अधिक कुछ नहीं। यही वजह है कि मौसम विभाग की ओर से स्कूल बंद करने की भी सिफारिश नहीं की गई है।

वहीं स्काईमैट वेदर के मुख्य मौसम विज्ञानी महेश पलावत कहते हैं कि बीते सप्ताह का आंधी-तूफान इसलिए विनाशकारी रहा क्योंकि एक साथ कई कारक जुड़ गए थे। मजबूत पश्चिमी विक्षोभ तो था ही, ऊपरी हवा का कम दबाव वाला क्षेत्र भी बन गया था।

राजस्थान में चक्रवाती हवाएं भी जोरों पर थीं और बादल भी 15 से 20 फीट की ऊंचाई वाले बन गए थे। इसीलिए कुछेक राज्यों में जानमाल का नुकसान भी हुआ। इस बार इस पश्चिमी विक्षोभ की गहनता कम है और कोई बड़ा कारक भी साथ नहीं है।


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