फणीश्वरनाथ रेणु की आंचलिकता में दिखती है स्त्रियों की विविध छवि : उषा किरण खान
रचनाकार फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती के उपलक्ष्य में ‘धरती का धनी रचनाकार फनीश्वरनाथ रेणु’ विषय पर वेब संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें डीयू के कई लोग मौजूद रहे।
नई दिल्ली [रितु राणा]। दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज महाविद्यालय ने गहन सामाजिक यथार्थ और लोक-संस्कृति के कुशल चितेरे रचनाकार फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती के उपलक्ष्य में ‘धरती का धनी रचनाकार फनीश्वरनाथ रेणु’ विषय पर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया। गोष्ठी की शुरुआत कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर रमा ने करते हुए रेणु जन्मशती वर्ष का दस्तावेजीकरण करने की दृष्टी पर बल दिया।
रेणु की आंचलिकता में स्त्रियों की विविध छवियां देखने को मिलती
इस मौके पर रेणु के व्यक्तित्व और कृतित्व से संबंधित नए और अनछुए पहलुओं को सामने लाने के उद्देश्य से एक स्थायी महत्व की संपादित पुस्तक की योजना को भी प्रस्तावित किया गया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री उषा किरण खान ने रेणु को याद करते हुए कहा कि रेणु की आंचलिकता अपने आप में अंचल भर की कहानी नहीं है बल्कि उनकी आंचलिकता का एक छोड़ वैश्विकता से भी जुड़ता है। रेणु की आंचलिकता में स्त्रियों की विविध छवियां देखने को मिलती हैं। रेणु जीवन को संपूर्णता में देखने वाले रचनाकार थे।
मैला आंचल ने कथा साहित्य के गतिरोध को दूर किया
आगे आलोचक गोपेश्वर सिंह ने कहा कि रेणु अपने 'मैला आंचल' के द्वारा कथा-साहित्य के गतिरोध को दूर करते हैं। रेणु समग्र मानवीय दृष्टि के साथ अपरूप सौंदर्य के रचनाकार हैं।
रेणु लोक के कथाकार
वहीं, आलोचक प्रोफेसर सत्यकाम ने 'मैला आंचल' की आंचलिकता को भारतीयता से जोड़ते हुए कहा कि 'मैला आंचल' में अभिव्यक्त राजनीतिक यथार्थ अंचल को राष्ट्रीय और राष्ट्रीय को वैश्विक बनाता है। भारतीय गांव के यथार्थ को 'मैला आंचल' अभिव्यक्त करता है। रेणु लोक के कथाकार हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक व प्राध्यापक डॉ. मनीष और डॉ. महेंद्र प्रजापति ने भी अपने विचार रखे।
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