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जानिए- आखिर क्यों दिल्ली में जिलाध्यक्ष उठा रहे प्रदेश स्तरीय मुद्दे

पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं तो मानसून सिर पर होने के बावजूद नालों की सफाई अभी तक अधूरी है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 09:16 AM (IST)
जानिए- आखिर क्यों दिल्ली में जिलाध्यक्ष उठा रहे प्रदेश स्तरीय मुद्दे
जानिए- आखिर क्यों दिल्ली में जिलाध्यक्ष उठा रहे प्रदेश स्तरीय मुद्दे

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। कोरोना संक्रमण और चीन के साथ हुई झड़प में शहीद हुए 20 सैनिकों के गम में इस बार (19 जून को) कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने अपना जन्मदिन नहीं मनाया। युवराज ने नहीं मनाया तो प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी 20 जून को भला अपना जन्मदिवस कैसे मनाते। बड़ी चिंता यह थी कि कहीं कोई फोटो क्लिक हो गई तो किरकिरी हो जाएगी। नतीजा, नेताजी दिन भर कार्यकर्ताओं से बचते रहे। पार्टी कार्यालय तो पहुंचे ही नहीं। यहां कुछ कार्यकर्ता मिठाई के डिब्बे लेकर पहुंचे थे तो सेवादल के पदाधिकारी फूलों के गुलदस्ते हाथ में लिए अध्यक्ष महोदय का इंतजार कर रहे थे। एक बार नेताजी कार्यालय आने को हुए भी, लेकिन जब पता चला कि वहां उनका इंतजार हो रहा है तो बिना अंदर आए, बाहर से ही वापस हो लिए। वैसे एक दिन पूर्व उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को जन्मदिन न मनाने का निर्देश भी दे दिया गया था।

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जिलाध्यक्ष उठा रहे प्रदेश स्तरीय मुद्दे

कोरोना से इतर भी दिल्ली में अनेक मुद्दे हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व इस तरफ रुख ही नहीं कर पा रहा। पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं तो मानसून सिर पर होने के बावजूद नालों की सफाई अभी तक अधूरी है। उद्यमी परेशान हैं क्योंकि लॉकडाउन के दौरान दो माह तक सब कुछ बंद होने के बावजूद बिजली कंपनियां उनसे फिक्स चार्ज वसूल रही हैं। आलम यह हो चला है कि जो मुद्दे प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को उठाने चाहिए, वे जिला एवं प्रकोष्ठ स्तर पर उठाए जा रहे हैं। मसलन, आदर्श नगर जिला कांग्रेस अध्यक्ष हरीकिशन जिंदल पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि पर विरोध के स्वर बुलंद करने में लगे हैं तो व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश गर्ग बिजली बिलों के मुद्दे को आवाज देना चाह रहे हैं। पार्टी नेताओं का भी कहना है कि जनता की नब्ज पकड़ना जरूरी है।

आक्रोश के साथ चुनौती भी

प्रत्येक चेहरे पर आक्रोश दिख रहा है। इंडिया गेट से लेकर चीनी दूतावास के आसपास आक्रोश का इजहार भी हो रहा है। भारत माता की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही चीन को सबक सिखाने की मांग तेज हो रही है। सरकार से लेकर राजनीतिक पार्टियां और खरीददार से दुकानदार तक सभी चीनी उत्पाद से दूरी बनाने की बात कर रहे हैं। सभी बुलेट और वॉलेट दोनों से जवाब देने के पक्षधर हैं। चीनी कंपनियों व वस्तुओं पर निर्भरता खत्म या कम करने की भावना जोर पकड़ रही है। इसे लेकर सरकारी स्तर पर फैसले भी होने लगे हैं। व्यापारिक संगठन रणनीति बनाने में जुटे हैं। यानी आने वाले दिनों में बाजार की रंगत बदल जाएगी। स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही हमारे सामने कई चुनौतियां भी आएंगी। स्वदेशी के प्रति लोगों को यह जज्बा आगे भी बरकरार रखना होगा।

पंजाबी नेताओं में मायूसी

दिल्ली में पंजाबी भाजपा के मजबूत समर्थक माने जाते हैं। एक समय था जब पंजाबी नेताओं के इर्द-गिर्द पार्टी की सियासत घूमती थी। केदारनाथ साहनी, मदन लाल खुराना, विजय कुमार मल्होत्रा, ओपी कोहली जैसे पंजाबी नेता दिल्ली भाजपा ने दिए हैं। लेकिन, अब सियासी समीकरण बदल गया है। पिछले काफी समय से किसी पंजाबी नेता को दिल्ली की कमान नहीं मिली है। इस बार नगर निगम में भी कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला। तीनों निगमों में न तो किसी पंजाबी नेता को महापौर, उपमहापौर बनाया गया और न ही स्थायी कमेटी के चेयरमैन की कुर्सी मिली। इससे नेताओं में मायूसी है और अब इन नेताओं की नजर संगठन पर टिकी हुई है। उन्हें उम्मीद है कि अनुभवी व पार्टी के लिए समर्पित नेताओं को प्रदेश और जिला में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी। अब इन सबको प्रदेश पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों की घोषणा होने का इंतजार है।

लोगों को समझाते समझाते खुद आए कोरोना की चपेट में

कहते हैं कि जब आप दूसरों को किसी मुद्दे पर सलाह दे रहे हों तो खुद भी सावधानी बरतें। खासकर कोरोना वायरस से, जो किसी के साथ रियायत नहीं करता। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी ऐसे लोगों में शामिल हैं जो कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को मार्च से सलाह दे रहे थे। वह लगातार दिशा-निर्देश जारी कर रहे थे। अपील कर रहे थे कि लोग किसी से हाथ न मिलाएं, मास्क लगाएं, हाथों को बार-बार धुलें या सैनिटाइज करें। ताकि कोरोना से बचे रहें। इसी दौरान वह कब कोरोना वायरस की चपेट में आ गए, यह उन्हें भी नहीं पता चल सका। अब मंत्रिमंडल के उनके साथी, मिलने वाले, उनके विभाग के कर्मचारी अपनी कोरोना जांच कराने में लगे हुए हैं कि कहीं उन्हें भी तो कोरोना नही हो गया है।


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