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AAP सरकार और नौकरशाही के बीच सबकुछ ठीक नहीं, 'सुरक्षा-सम्मान' पर अटक रही बात

अधिकारियों के मुताबिक, विधायकों की बैठक में बिल्कुल नहीं जाएंगे। कार्यालय के समय से अलग होने वाली बैठकों में भी नहीं जाएंगे।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 09:44 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 09:45 AM (IST)
AAP सरकार और नौकरशाही के बीच सबकुछ ठीक नहीं, 'सुरक्षा-सम्मान' पर अटक रही बात
AAP सरकार और नौकरशाही के बीच सबकुछ ठीक नहीं, 'सुरक्षा-सम्मान' पर अटक रही बात

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली सरकार में काम कर रहे आइएएस अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक उन्हें सुरक्षा व सम्मान का पुख्ता आश्वासन नहीं दिया जाएगा तब तक वे सभी बैठकों में शामिल नहीं होंगे। अधिकारियों ने उनसे मिले बिना मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बेंगलुरु चले जाने पर भी खासी नाराजगी जताई है। मंगलवार शाम धरना खत्म कर केजरीवाल राजनिवास से सीधे घर चले गए थे, जबकि अधिकारी सचिवालय में उनके साथ बैठक का इंतजार करते रह गए। बुधवार को भी बैठक नहीं हो पाई और गुरुवार को वह चुनिंदा बैठकें लेकर स्वास्थ्य लाभ लेने 10 दिन के लिए बेंगलुरु रवाना हो गए।

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आइएएस अधिकारी एसोसिएशन इसे मुख्यमंत्री की वादाखिलाफी बता रहे हैं। एसोसिएशन के सदस्य वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों का कहना है कि अधिकारी हमेशा की तरह इस बार भी सहयोग को तत्पर हैं, लेकिन मुख्यमंत्री फिर से अधिकारियों संग एक अदद बैठक तक नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों के समक्ष फिर वही स्थिति बन गई है, जो पिछले चार माह से चली आ रही है।

अधिकारियों के मुताबिक इस स्थिति में वह पहले की तरह ही चलेंगे। बैठकों में जाएंगे, लेकिन जिस बैठक में उन्हें सुरक्षा और सम्मान के लिहाज से जाना उचित नहीं लगेगा उसमें नहीं जाएंगे। विधायकों की बैठक में बिल्कुल नहीं जाएंगे। कार्यालय के समय से अलग होने वाली बैठकों में भी नहीं जाएंगे। विरोध स्वरूप रोज भोजन अवकाश के दौरान पांच मिनट का मौन व्रत भी जारी रहेगा।

अगर मनीष सिसोदिया ने बैठक ली तो भी नहीं जाएंगे अधिकारी

कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के नहीं होने की स्थिति में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं, लेकिन अधिकारियों ने ऐसी किसी भी बैठक में जाने से इन्कार कर दिया है। एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी ने कहा कि ट्वीट के जरिये हमें आश्वासन मुख्यमंत्री ने दिया है, उपमुख्यमंत्री ने नहीं। ऐसे में उनके साथ बैठक करने का मतलब ही नहीं बनता। मुख्य सचिव से मारपीट भी मुख्यमंत्री के ही घर हुई थी, इसलिए कुछ मुद्दे तो उन्हीं के साथ बैठक में सुलझ पाएंगे।


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