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महंगी बिजली खरीदने से परहेज कर रही हैं डिस्काम

दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) उनकी मांग को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सामने उठा चुका है। दिल्ली सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखा गया है। एनटीपीसी के अंता ओरैया और दादरी गैस संयंत्रों से मिलने वाली बिजली किसी अन्य राज्य को दिलाने के लिए कहा गया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 07:45 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 07:45 PM (IST)
महंगी बिजली खरीदने से परहेज कर रही हैं डिस्काम
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग ने दिल्ली सरकार को लिखा पत्र

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। बिजली वितरण कंपनी (डिस्काम) पुराने संयंत्रों से बिजली नहीं खरीदना चाहती हैं। नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के कई संयंत्रों के साथ डिस्काम बिजली खरीद समझौता समाप्त करने की मांग कर रही हैं। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) उनकी मांग को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के सामने उठा चुका है। दिल्ली सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखा गया है। एनटीपीसी के अंता, ओरैया और दादरी गैस संयंत्रों से मिलने वाली बिजली किसी अन्य राज्य को दिलाने के लिए कहा गया है। इन तीनों संयंत्रों से दिल्ली को 206 मेगावाट बिजली आवंटित है।

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25 साल के लिए हुआ है समझौता

अंता और ओरैया संयंत्र के साथ 25 साल के लिए हुआ समझौता समाप्त हो गया है। दादरी गैस संयंत्र के साथ समझौता भी 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। इन संयंत्रों से महंगी बिजली मिलती है इसलिए दिल्ली में बिजली वितरण करने वाली कंपनियां पिछले कुछ समय से बिजली नहीं खरीद रही है। बावजूद इसके दिल्ली के लिए आवंटित बिजली का कोटा समाप्त नहीं होने के कारण डिस्काम को इन संयंत्रों को लगभग 70 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से स्थायी शुल्क देना पड़ता है। इस तरह से बिजली लिए बगैर करोड़ों रुपये का भुगतान करना पड़ता है और यह भार उपभोक्ताओं पर पड़ता है। डीईआरसी का कहना है कि इन संयंत्रों की बिजली उन राज्यों को मिलनी चाहिए जिन्हें जरूरत है।

डीईआरसी ने दी ये दलील

डीईआरसी का कहना है कि दिल्ली में न तो कोयले की खान है और न हाइड्रो पावर के संयंत्र लग सकते हैं। इस स्थिति में दिल्ली बिजली के लिए एनटीपीसी के संयंत्रों पर निर्भर है। एनटीपीसी के उंचाहार-एक, फरक्का एक व दो तथा कहलगांव एक संयंत्र से अपेक्षाकृत सस्ती बिजली मिलती है। इन संयंत्रों से दिल्ली को 98 मेगावाट बिजली मिलती है। इन संयंत्रों के साथ भी 25 सालों का बिजली खरीद समझौता समाप्त हो चुका है बावजूद इसके दिल्ली की जरूरत पूरी करने के लिए इनसे बिजली खरीद जारी रखने की जरूरत है।


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