Delhi News: केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में तय होगी ज्ञानवापी पर विहिप की दिशा
विहिप के शीर्ष नेतृत्व के अनुसार इस बैठक में उपस्थित देश के प्रमुख साधु-संतों को ज्ञानवापी प्रकरण पर अब तक के घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा साथ ही आगे की रणनीति को लेकर उनसे मार्गदर्शन लिया जाएगा। वैसे विहिप इस मामले में अति सक्रियता दिखाने के मूड में नहीं है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। काशी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने से यह आरोप सच साबित होने लगा है कि मंदिर तोड़कर उक्त स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी। इसके साथ ही इस मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की सक्रियता बढ़ने लगी है। अब तक अयोध्या में राममंदिर निर्माण पूरा होने तक दूसरा कोई एजेंडा हाथ में न लेने की रणनीति पर काम कर रही विहिप ने अब ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर आगे बढ़ने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, इसपर कोई भी निर्णय संगठन की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में लिया जाएगा। यह बैठक 11-12 जून को हरिद्वार में है।
घटनाक्रम से अवगत कराएगा विहिप
विहिप के शीर्ष नेतृत्व के अनुसार, इस बैठक में उपस्थित देश के प्रमुख साधु-संतों को ज्ञानवापी प्रकरण पर अब तक के घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा, साथ ही आगे की रणनीति को लेकर उनसे मार्गदर्शन लिया जाएगा। वैसे, विहिप इस मामले में अति सक्रियता दिखाने के मूड में नहीं है। वह आगे किसी भी कदम के लिए न्यायालय के निर्णय का इंतजार करेगी।
कोर्ट के निर्णय के बाद ही विहिप करेगी विचार
विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि मामला अभी न्यायालय में है, इसलिए अधिक टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। न्यायालय का निर्णय आने के बाद विहिप इसके बारे में आगे विचार करेगी और तभी तय किया जाएगा कि अगला कदम क्या उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके पहले हमने कहा था कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण तक हम न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे, लेकिन अब शिवलिंग मिलने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं। बदली हुई परिस्थितियों में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हम इस मामले को संतों के समक्ष रखेंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 में विज्ञान भवन में आयोजित धर्म संसद में जब विहिप ने रामध्वज थामा था और आंदोलन की घोषणा की थी, तब उसने मथुरा-काशी का भी संकल्प लिया था।
ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने से सिद्ध हो गया कि यह मंदिर है: आलोक कुमार
आलोक कुमार ने कहा कि ज्ञानवारी में सर्वे के दौरान एक कमरे में शिवलिंग मिलने से स्वयं सिद्ध हो गया है कि वह मंदिर है। यह बहुत आनंद का समाचार है। शिवलिंग दोनों पक्षों और उनके वकीलों की उपस्थिति में मिला है, इसलिए शिवलिंग वाला स्थान मंदिर है। यह तथ्य स्वयं सिद्ध हो चुका है कि वहां मंदिर अब भी है और वर्ष 1947 में भी था। उन्होंने आशा जताई कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिले इस साक्ष्य को समस्त देशवासी स्वीकार करेंगे और इसका आदर करेंगे और शिवलिंग मिलने के बाद इसकी जो स्वाभाविक परिणतियां हैं, देश उस तरफ आगे बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि न्यायालय ने ज्ञानवापी के शिवलिंग वाले हिस्से को संरक्षित किया है, सील किया है। पुलिस अधिकारियों का दायित्व है कि वहां कोई छेड़छाड़ नहीं हो। उन्होंने भरोसा जताया कि यह विषय अपने परिणाम तक पहुंचेगा।