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एआई संचालित इंसुलिन सिस्टम के साथ मधुमेह देखभाल में आ सकता है बदलाव

स डिवाइस का एक बड़ा लाभ है कि यह किसी डायबिटीज रोगी के ब्लड ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है। वहीं डायबिटीज से जुड़े दुष्प्रभावों का भी ईलाज करने में यह कारगर होता है। इसमें नसों का खराब होना किडनी फेल्योर कार्डियोवास्कुलर रोग आदि शामिल है। लगातार मॉनिटरिंग के द्वारा यह हाइपोग्लाइसेमिक की दिक्कत में राहत दिला सकता है। वहीं इससे रोगी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

By Jagran News Edited By: Anurag Mishra Updated: Wed, 02 Oct 2024 11:31 PM (IST)
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इंसुलिन की खुराक को अनुकूलित करने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं, जिससे ग्लाइसेमिक नियंत्रित होता हैं।

नई दिल्ली। मौजूदा समय में डायबिटीज रोग तेजी से बढ़ा है। चिकित्सकों का मानना है कि डायबिटीज की अगर सही से देखभाल और प्रबंधन किया जाए तो इससे होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक दीक्षित आलडी द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में एआई-संचालित इंसुलिन डिलीवरी सिस्टम की मधुमेह प्रबंधन में उपयोग माना है।

ये नवाचारी सिस्टम वास्तविक समय में ग्लूकोज निगरानी के आधार पर इंसुलिन की खुराक को अनुकूलित करने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं, जिससे ग्लाइसेमिक नियंत्रण सुधार होता हैं। एआई-संचालित सिस्टम में हाइपोग्लाइसीमिया और हाइपरग्लाइसीमिया के जोखिमों को कम करने के लिए कई प्रमुख इनोवेशन शामिल हैं। उदाहरण के लिए, भविष्यवाणी करने वाले हाइपोग्लाइसीमिया का पता लगाने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग ग्लूकोज के रोजान ट्रेंड का विश्लेषण करता है और कई घंटे पहले से ही कम रक्त शर्करा का पूर्वानुमान लगाता है। इसका फायदा यह होता है कि आपको इस बात की जानकारी मिल जाती है कि आपके ग्लूकोज के स्तर में कमी आ रही है। इस डिवाइस का एक बड़ा लाभ है कि यह किसी डायबिटीज रोगी के ब्लड ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है। वहीं डायबिटीज से जुड़े दुष्प्रभावों का भी ईलाज करने में यह कारगर होता है। इसमें नसों का खराब होना, किडनी फेल्योर, कार्डियोवास्कुलर रोग आदि शामिल है।

शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस विभाग में वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक दीक्षित आलडी कहते हैं कि लगातार मॉनिटरिंग और एनालिटिक्स के द्वारा यह हाइपोग्लाइसेमिक की दिक्कत में राहत दिला सकता है। वहीं इससे रोगी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। वह कहते हैं कि मौजूदा परिणाम अच्छे हैं। सटीक ग्लूकोज भविष्यवाणी करने के लिए एआई एल्गोरिदम पर लगातार काम कर इसे दुरूस्त करने की आवश्यकता है। इसे बड़ी और कई रोगों से ग्रसित आबादी में के लिहाज से इसका आकलन करने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन आवश्यक और कारगर होगा। इस तकनीक को बड़े पैमाने पर अपनाने की संभावना बहुत अधिक है। यह सुरक्षित और विश्वसनीय समाधान पेश करती है जो विश्व स्तर पर मधुमेह प्रबंधन के लिए एक वरदान साबित हो सकती है।

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