केजरीवाल को उन्ही के अंदाज में भाजपा ने दिया जवाब, 'सियासी ड्रामे का हो गया पर्दाफाश'
भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री के सियासी ड्रामे का पर्दाफाश हो गया है। इसलिए अब वह टकराव की सियासत छोड़कर दिल्ली के हित में काम करें।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। भाजपा ने इस बार धरना पॉलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्हीं के अंदाज में पटखनी दी है। मुख्यमंत्री व उनके सहयोगी भाजपा नेताओं के जवाबी धरने के आगे बेबस नजर आए। वहीं, भाजपाइयों ने उनकी फजीहत करने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं दिया। कुल मिलाकर धरने वाली सियासत से 'आप' की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचा है।
सियासी ड्रामे का पर्दाफाश
भाजपा इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित कर रही है। उसका कहना है कि मुख्यमंत्री के सियासी ड्रामे का पर्दाफाश हो गया है। इसलिए अब वह टकराव की सियासत छोड़कर दिल्ली के हित में काम करें। मुख्यमंत्री उपराज्यपाल पर अधिकारियों की हड़ताल खत्म नहीं कराने का आरोप लगाते हुए 11 जून को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सत्येंद्र जैन व गोपाल राय के साथ राजनिवास में धरने पर बैठ गए थे।
भाजपा का आक्रामक रुख
केजरीवाल के इस दांव से भाजपा नेता भी सतर्क हो गए। वह किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री को इस धरने से सियासी लाभ नहीं उठाने देना चाहते थे। इसलिए 'आप' के दांव का सियासी असर व जनता की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखकर प्रत्येक कदम फूंक-फूंककर रखा गया। दो दिनों तक जब दिल्लीवासियों ने इस धरने की सियासत को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया तो भाजपा ने आक्रामक रुख अख्तियार करना शुरू कर दिया।
'आप' पर पलटवार
13 जून को नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के साथ भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा, विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा, जगदीश प्रधान और दिल्ली के पूर्व मंत्री व 'आप' के नाराज विधायक कपिल मिश्रा दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर धरना शुरू कर दिया। उन्होंने एलान कर दिया कि जब तक केजरीवाल व उनके मंत्री धरना खत्म करके जल संकट और प्रदूषण की समस्या हल करने के लिए काम नहीं करेंगे तब तक उनका धरना भी जारी रहेगा।
आखिर रंग लाया दबाव
वहीं, जब उपमुख्यमंत्री और जैन ने अनशन शुरू किया तो भाजपा नेता भी भूख हड़ताल पर बैठ गए। भाजपा नेता अनशन करने के साथ ही नियमित प्रेस वार्ता, सोशल मीडिया और प्रदर्शन करके दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे। जनता को यह बताने की भी उनकी कोशिश जारी रही कि मुख्यमंत्री हड़ताल पर हैं न कि अधिकारी। उनका दबाव आखिर रंग लाया और मंगलवार को पहले सिसोदिया व जैन अपने कार्यालय में पहुंचे। उसके बाद शाम को केजरीवाल व गोपाल राय ने भी धरना समाप्त कर दिया।
नौटंकी का पर्दाफाश हो गया
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जनता का संघर्ष तथा विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय पर सात दिन का धरना व पांच दिन की भूख हड़ताल आखिरकार सफल रही। मुख्यमंत्री की नौटंकी का पर्दाफाश हो गया है। उन्हें अपनी अराजकता छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। इसलिए अब वह अपना साढ़े तीन साल पुराना नाटक छोड़कर दिल्लीवासियों के लिए काम में लग जाएं।
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