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दिल्ली में बिजली की मांग पहुंची पांच हजार मेगावाट से ऊपर

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बिजली की मांग में कुछ कमी देखी जा रही थी। डिस्काम का कहना है कि पिछले दिनों ज्यादा सर्दी नहीं पड़ने और कोरोना संक्रमण की वजह से कई तरह के प्रतिबंध की वजह से बिजली की खपत कम हो रही थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 09:36 PM (IST)
दिल्ली में बिजली की मांग पहुंची पांच हजार मेगावाट से ऊपर
बिजली की मांग पांच हजार मेगावाट से ऊपर

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। सर्दी बढ़ने के साथ ही दिल्ली में बिजली की खपत भी बढ़ने लगी है। शुक्रवार को इस मौसम का सबसे अधिक मांग 5104 मेगावाट पहुंच गई। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) को बिजली की खपत और बढ़ने की उम्मीद है। उनका कहना है कि मांग के अनुरूप बिजली की व्यवस्था की गई है उपभोक्ताओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

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इस बार मांग में दिखी कमी

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार बिजली की मांग में कुछ कमी देखी जा रही थी। डिस्काम का कहना है कि पिछले दिनों ज्यादा सर्दी नहीं पड़ने और कोरोना संक्रमण की वजह से कई तरह के प्रतिबंध की वजह से बिजली की खपत कम हो रही थी। अब सर्दी बढ़ी है और इसके साथ ही बिजली की खपत भी ज्यादा होने लगी है।

प्रतिबंध के बावजूद बढ़ी मांग

यही कारण है कि व्यवसायिक गतिविधियों पर कई तरह के प्रतिबंध होने के बावजूद शुक्रवार को अधिकतम मांग 51 सौ मेगावाट के पार पहुंच गई। हालांकि, शनिवार को सप्ताहांत कर्फ्यू की वजह से मांग गिरकर 4338 मेगावाट रह गई। आने वाले दिनों में मांग 54 सौ मेगावाट तक पहुंच सकती है।

दूसरे संयंत्रों से की गई व्यवस्था 

बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) के बिजली वितरण क्षेत्र में शुक्रवार को अधिकतम मांग 2140 मेगावाट, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) के क्षेत्र में 1114 तथा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के क्षेत्र में 1606 मेगावाट मांग दर्ज की गई। बीएसईएस का कहना है कि लंबी अवधि की खरीद समझौता के साथ ही दूसरे संयंत्रों से अतिरिक्त बिजली की व्यवस्था की गई है।

पवन चक्की से मिली 25 मेगावाट 

कंपनी को अलग-अलग स्थानों से साढ़े आठ सौ मेगावाट सौर ऊर्जा मिल रही है। पवन चक्की से 25 मेगावाट बिजली मिल रही है। टीपीडीडीएल का कहना है कि इस सर्दी में उसके बिजली वितरण क्षेत्र में अधिकतम मांग 17 सौ मेगावाट तक रह सकती है और इसके अनुसार बिजली की व्यवस्था की गई है।


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