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Shocking News: कोरोना के लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट आ रही नेगेटिव, हैरान हैं डॉक्टर

Shocking News माना जा रहा है कि वायरस में म्यूटेशन के चलते आरटीपीसीआर जांच की नेगेटिव रिपोर्ट ज्यादा आ रही हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि नए स्ट्रेन के कारण ऐसा हो रहा है। आरटीपीसीआर जांच पहले भी शत-प्रतिशत सटीक नहीं थी।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:10 AM (IST)
Shocking News: कोरोना के लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट आ रही नेगेटिव, हैरान हैं डॉक्टर
आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद लक्षण वाले मरीजों को 14 दिन आइसोलेशन में रहना जरूरी है।

नई दिल्ली [रणवजिय सिंह]। कोरोना वायरस संक्रमण की नई लहर बेहद खतरनाक है। यह बात भी सामने आ रही है कि कोरोना की बीमारी के पूरे लक्षण होने के बावजूद करीब 20 फीसद मरीजों की आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। इससे सभी मरीजों की पहचान और उनके इलाज में समस्या आने लगी है। ऐसा माना जा रहा है कि वायरस में म्यूटेशन की वजह से आरटीपीसीआर जांच की नेगेटिव रिपोर्ट ज्यादा आ रही हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि नए स्ट्रेन के कारण ऐसा हो रहा है। आरटीपीसीआर जांच पहले भी शत-प्रतिशत सटीक नहीं थी।

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रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद होम आइसोलेशन में रहे लक्षण वाले मरीज

इस बाबत आकाश सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. अक्षय ने कहा कि अभी कोरोना के इतने म्यूटेंट वायरस हैं कि कई बार नाक व गले में वायरल लोड बहुत ज्यादा नहीं होता। इससे आरटीपीसीआर जांच में भी वायरस पकड़ में नहीं आता है। ऐसे बहुत से मरीज देखे जा रहे हैं, जिनमें बुखार, खांसी, शरीर दर्द, कमजोरी जैसे लक्षण होते हैं, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आती है। ऐसी स्थिति में चेस्ट सीटी स्कैन करके यह पता किया जा सकता है कि मरीज को कोरोना है कि नहीं है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बावजूद लक्षण वाले मरीजों को 14 दिन आइसोलेशन में रहना जरूरी है।

लक्षण के बावजूद नेगेटिव रिपोर्ट पर शोध जारी

वहीं, जेनेस्टि्रंग लैब के माइक्रोबायोलाजी की विशेषज्ञ डॉ. अल्पना ने कहा कि 15 से 20 फीसद मरीजों में लक्षण होने के बावजूद आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। इसका कारण अभी स्पष्ट नहीं है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) इस पर शोध कर रहा है। वायरस में सामान्य तौर पर स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन होता है। आरटीपीसीआर किट को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि स्पाइक प्रोटीन के अलावा वायरस के एन जीन या ओआरए-एक जीन की पहचान कर रिपोर्ट तैयार की जा सके। इसलिए अभी इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है।

उधर, गंगाराम अस्पताल के चेस्ट फिजीशियन डा. बाडी भालोत्रा ने कहा कि ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव हैं, लेकिन एक्सरे व सीटी स्कैन करने पर कोविड का निमोनिया होने का पता चल रहा है। ऐसे मरीजों का इलाज कोरोना मानकर ही होता है। आरटीपीसीआर 67 से 70 फीसद सेंसेटिव (कारगर) है। इसलिए लक्षण होने के बावजूद रिपोर्ट नेगेटिव आने पर दोबारा जांच करानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि सभी लैब आरटीपीसीआर जांच में 35 सीटी साइकिल के नियम का पालन कर रही हैं या नहीं। दोबारा भी रिपोर्ट नेगेटिव आए तो सीटी स्कैन से संक्रमण का पता लगाया जा सकता है।

गंगाराम अस्पताल के माइक्रोबायोलाजी के विशेषज्ञ डा. चांद वट्टल ने कहा कि लक्षण होने के बावजूद कुछ लोगों की रिपोर्ट पहले भी नेगेटिव आ रही थी। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इस पर संबंधित एजेंसियां शोध कर रही हैं। उन्होंने सैंपल मांगे हैं। गंगाराम अस्पताल से भी सैंपल भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही सही बात का पता चल सकेगा।


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