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दिल्ली पुलिस में 7 महीने पहले हुई पदोन्नति, 400 एसीपी व इंस्पेक्टरों को अब तक नहीं मिली तैनाती

नए पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के आने के बाद इन 400 अधिकारी संशय में हैं। जून में तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने यह पदोन्नति की थी। विभाग में स्वीकृत पद न होने के बावजूद 400 अधिकारियों को पदोन्नत किया गया।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Abhishek TiwariPublished: Mon, 06 Feb 2023 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2023 10:17 AM (IST)
दिल्ली पुलिस में 7 महीने पहले हुई पदोन्नति, 400 एसीपी व इंस्पेक्टरों को अब तक नहीं मिली तैनाती
Delhi News: नए पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पूर्व पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना द्वारा पदोन्नत किए गए 400 एसीपी व इंस्पेक्टरों को सात माह बाद भी नई तैनाती नहीं दी गई है। पदोन्नति के बाद भी नई जिम्मेदारी न मिलने से महकमे में असंतोष की भावना पनप रही है। सेवानिवृत होने से पहले अस्थाना ने 300 सब इंस्पेक्टरों की पदोन्नति कर कार्यात्मक इंस्पेक्टर व 100 इंस्पेक्टरों को कार्यात्मक एसीपी बनाया था।

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जून में तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने की थी पदोन्नति

नए पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के आने के बाद इन 400 अधिकारी संशय में हैं। जून में तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने यह पदोन्नति की थी। विभाग में स्वीकृत पद न होने के बावजूद 400 अधिकारियों को पदोन्नत किया गया। जुलाई में गृह मंत्रालय ने संजय अरोड़ा को नए आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी, लेकिन पदोन्नति पाए अधिकारी पुराने पद के अनुसार ही काम कर रहे हैं।

इंस्पेक्टरों को नहीं मिल पा रहा थानाध्यक्ष बनने का मौका

मुख्यालय सूत्रों की मानें तो दिल्ली के करीब 17 थाने ऐसे हैं, जहां के थानाध्यक्ष वरीयता के आधार पर सात माह पहले कार्यात्मक एसीपी बन चुके हैं, लेकिन वे अब तक थानाध्यक्ष पद पर ही बने हुए हैं। ऐसे में अन्य इंस्पेक्टरों को थानाध्यक्ष बनने का मौका नहीं मिल पा रहा है। उत्तरी जिले के बुराड़ी, सब्जी मंडी व कोतवाली के थानाध्यक्षों को एसीपी बने सात माह बीत चुके हैं।

ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि दिल्ली के 40 से अधिक थानों के थानाध्यक्षों का कार्यकाल निर्धारित दो साल से अधिक हो गया है। उनका तबादला नहीं हुआ है। मध्य जिला के आनंद पर्वत व जहांगीरपुरी आदि कई थानों के थानाध्यक्षों का कार्यकाल तीन साल होने को है।

आला अधिकारियों से बेहतर संबंध होने के कारण वे थानाध्यक्ष की जिम्मेदारी ही संभाल रहे हैं। इतना ही नहीं, तबादले में निरंकुशता का आलम यह है कि सरिता विहार आदि कई थानों में कई माह से अस्थायी थानाध्यक्ष ही हैं।


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