दो दिवसीय आनलाइन जनसुनवाई हुई पूरी, डीईआरसी जल्द घोषित करेगा बिजली की नईं दरें
Electricity Rates in Delhi बिजली की नई दरें घोषित करने के लिए आयोग ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) का वार्षिक लेखा वेबसाइट पर अपलोड करने के बाद उपभोक्ताओं से सुझाव मांगें थे। इसके साथ ही दो दिवसीय आनलाइन जनसुनवाई की गई ।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। बिजली की नई दरें घोषित करने के लिए दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय जनसुनवाई संपन्न हो गई। लोगों से मिले सुझाव व आपत्ति पर विचार करने के बाद आयोग जल्द ही बिजली की नई दरें घोषित करेगा। जनसुनवाई में उपभोक्ताओं ने स्थायी शुल्क व अन्य अधिभार कम करने की मांग की। इसके साथ ही बिजली वितरण कंपनियों के खातों की आडिट कराने की मांग की गई।
कंपनियों ने मांगे थे सुझाव
बिजली की नई दरें घोषित करने के लिए आयोग ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) का वार्षिक लेखा वेबसाइट पर अपलोड करने के बाद उपभोक्ताओं से सुझाव मांगें थे। इसके साथ ही दो दिवसीय आनलाइन जनसुनवाई की गई। आम उपभोक्ताओं के साथ ही आरडब्ल्यूडी और व्यापारिक व औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने डिस्काम के खातों व पूंजीगत संपत्ति के सत्यापन की मांग की। उन्होंने उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे अलग-अलग अधिभार व कर का भी विरोध किया।
30 प्रतिशत अतिरिक्त बिल अस्थायी कनेक्शन पर
नार्थ दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन ने कहा कि नगर निगम का बिजली कर पांच प्रतिशत है। यह कर स्थायी शुल्क व बिजली बिल पर मिलाकर लगाया जाता है। इसे कम करके घरेलू उपभोक्ताओं से प्रति मीटर 20 रुपये और व्यवसायिक उपभोक्ताओं से प्रति मीटर 30 रुपये वसूला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अस्थायी कनेक्शन पर 30 प्रतिशत अतिरिक्त बिल लिया जाता है।
कम हो व्यवसायिक कनेक्शन पर सिक्योरिटी मनी
एक माह से ज्यादा के लिए अस्थायी कनेक्शन नहीं दिया जाना चाहिए। इससे ज्यादा दिनों के लिए यदि आवासीय परियोजनाओं को बिजली कनेक्शन दिया जाता है तो उससे घरेलू उपभोक्ता के अनुसार बिजली बिल लिया जाना चाहिए। उन्होंने व्यवसायिक कनेक्शन पर प्रति किलोवाट 45 सौ रुपये सिक्योरिटी मनी वसूला जाता है। इसे कम किया जाना चाहिए।
25 हजार करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से वसूलने की मंजूरी
माडल टाउन रेजिडेंट सोसाइटी के महासचिव संजय गुप्ता ने कहा कि डिस्काम की रेगुलेटरी असेट बढ़कर 58 हजार करोड़ रुपये होना चिंता की बात है। डिस्काम इसे उपभोक्ताओं से वसूलना चाहती है। डीईआरसी ने लगभग 25 हजार करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से वसूलने की मंजूरी दे दी है। डीईआरसी ने चार साल पहले डिस्काम की पूंजीगत संपत्ति का भौतिक सत्यापन, टेंडर प्रक्रिया और अपनी सहयोगी कंपनियों से खरीद की जांच कराने को कहा था। अभी तक जांच नहीं हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही अदालत में लंबित डिस्काम के खातों की जांच के मामले का शीघ्र निपटारा किया जाना चाहिए।