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कोरोना वायरस के साथ डेंगू बन सकता है दिल्ली वालों के लिए चुनौती, डाक्टरों ने भी किया आगाह

इस बार डेंगू के दो स्ट्रेन डेन-1 व डेन-2 का संक्रमण देखा जा रहा है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलाजी विभाग के डाक्टरों द्वारा किए गए डेंगू के जीनोम सिक्वेसिंग अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। डेन-2 स्ट्रेन ज्यादा घातक होता है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 11:07 AM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 11:07 AM (IST)
कोरोना वायरस के साथ डेंगू बन सकता है दिल्ली वालों के लिए चुनौती, डाक्टरों ने भी किया आगाह
कोरोना वायरस के साथ डेंगू बन सकता है दिल्ली वालों के लिए चुनौती, डाक्टरों ने भी किया आगाह

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। राजधानी दिल्ली में डेंगू का संक्रमण इस बार अधिक है। थोड़ी चिंता की बात यह है कि इस बार डेंगू के दो स्ट्रेन डेन-1 व डेन-2 का संक्रमण देखा जा रहा है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलाजी विभाग के डाक्टरों द्वारा किए गए डेंगू के जीनोम सिक्वेसिंग अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। डेन-2 स्ट्रेन ज्यादा घातक होता है। हालांकि, एम्स के डाक्टर कहते हैं कि दिल्ली में अभी डेंगू के सामान्य स्ट्रेन (डेन-1) का ही संक्रमण अधिक है। डेन-2 के मामले बहुत कम पाए गए हैं, इसलिए बहुत ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन मच्छरों की उत्पत्ति रोकने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना होगा, ताकि संक्रमण बढ़ने ना पाए।

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डेंगू का संक्रमण एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं, जिसमें डेन-2 स्ट्रेन अधिक घातक और हेमरेजिक होता है। वर्ष 2015 में दिल्ली में इस स्ट्रेन का संक्रमण अधिक फैला था। तब दिल्ली में 15,867 मामले आए थे। इसके बाद दिल्ली में डेन-2 का संक्रमण अधिक नहीं फैला।

एम्स के एक वरिष्ठ डाक्टर ने कहा कि डेन-2 के कुछ मामले पाए गए हैं, लेकिन डेन-1 के मामले ही अधिक आ रहे हैं। डेन-2 के कुछ मामले हर साल देखे जाते हैं। अभी तक इस साल भी स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं है।

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. अजय लेखी ने कहा कि डेन-1 बहुत ज्यादा घातक नहीं होता। इसका संक्रमण होने पर तेज बुखार, शरीर दर्द व प्लेटलेट्स कम होने लगता है लेकिन रक्तस्त्राव होने का खतरा नहीं होता। डेन-2 के संक्रमण से तेज बुखार, शरीर दर्द के साथ, शरीर पर लाल चकत्ते बन जाते हैं। प्लेटलेट्स बहुत ज्यादा कम हो जाता है। इस वजह से शरीर के किसी भी हिस्से में रक्तस्त्राव का खतरा रहता है। ब्लड प्रेशर कम और रक्तस्त्राव होने से मरीज को हेमरेजिक शाक हो जाता है। नगर निगम ने मच्छरों की उत्पत्ति रोकने के लिए दवा की छिड़काव भी शुरू कर दी है।

एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल हो सकता है घातक

डा. अजय लेखी ने कहा कि इन दिनों कोरोना, फ्लू व डेंगू इन तीनों बीमारियों का संक्रमण देखा जा रहा है। कोरोना के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल बहुत हुआ है। लोग बीमार होने पर खुद भी दुकान से एंटीबायोटिक लेकर खा लेते हैं। डेंगू में एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता। ऐसे में इन दिनों यदि कोई डाक्टर की सलाह व जांच के बगैर एंटीबायोटिक व दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल करता है तो यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए बुखार होने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। डाक्टर की सलाह से ही दवा लेनी चाहिए। 


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