दिल्ली में खतरनाक हुआ डेंगू, 30 नए मरीज बढ़ने से 137 पहुंची संख्या
डेंगू व चिकनगुनिया के इलाज के लिए इस बार पिछले साल के मुकाबले 35 अस्पतालों में 500 बेड कम आरक्षित किए गए हैं। पिछले साल 1000 बेड आरक्षित किए गए थे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में पिछले दिनों हुई जबरदस्त बारिश के बाद अब डेंगू का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली के अस्पताल में प्रतिदिन डेंगू के नए-नए मरीज सामने आ रहे हैं। सोमवार को दिल्ली में 30 नए मरीज सामने आने से डेंगू पीड़ितों की कुल संख्या बढ़कर 137 पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा आठ डेंगू पीड़ित दक्षिणी एमसीडी क्षेत्र के हैं।
जानकारों के अनुसार आने वाले समय में डेंगू का खतरा और बढ़ेगा। ऐसे में लोगों को मच्छरों से बचने के लिए खास हिदायत बरतने की जरूरत है। डेंगू के अलावा दिल्ली में मलेरिया भी तेजी से पांव पसार रहा है। मलेरिया के भी सोमवार को 25 नए मामले सामने आए हैं।
निगम कर रहा है कार्रवाई
निगम के मुताबिक वह लगातार मच्छर जनित बीमारियों के लिए लोगों को विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर रहा है। इतना ही नहीं कार्रवाई भी की जा रही है। अब तक निगम ने 114532 लोगों के घर में निरीक्षण के दौरान मच्छरों के प्रजनन का लार्वा पाया है। इसमें 104866 लोगों के खिलाफ कानूनी नोटिस जारी किए जा चुके हैं।
डेंगू, चिकनगुनिया के लिए पिछले साल के मुकाबले आधे बेड हुए आरक्षित
अगस्त के अंतिम सप्ताह में डेंगू से इस साल की पहली मौत का मामला सामने आया था। बावजूद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के अधिकारी व डॉक्टर कह रहे हैं कि इस वर्ष मच्छर जनित बीमारियों का संक्रमण कम है। खासतौर पर डेंगू का संक्रमण इस बार पिछले चार सालों में सबसे कम है। पिछले साल के मुकाबले डेंगू व चिकनगुनिया के मामले आधे से भी कम देखे जा रहे हैं। नगर निगम के आंकड़े इस तरफ ही इशारा कर रहे हैं। इसलिए डेंगू व चिकनगुनिया के इलाज के लिए इस बार पिछले साल के मुकाबले 35 अस्पतालों में 500 बेड कम आरक्षित किए गए हैं। पिछले साल 1000 बेड आरक्षित किए गए थे।
स्कूलों में नहीं जारी किया गया अलर्ट
डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ने पर हर साल स्कूलों को अलर्ट किया जाता है और छात्रों को पूरे बाजू के कपड़े पहनकर स्कूल आने का निर्देश दिया जाता है। इस बार अब तक ऐसा नहीं किया गया है। पिछले सालों के मुकाबले इस बार इन बीमारियों के मामले भले कम आए हैं पर पिछले कुछ समय से अस्पतालों में डेंगू व चिकनगुनिया के मामले बढ़े हैं।
प्लेटलेट्स कम होने का मतलब डेंगू नहीं
इन दिनों बुखार चढ़ते ही डेंगू बुखार का हौवा सताने लगता है। बुखार पीड़ित लोगों में प्लेटलेट्स की कमी पाई जाती है, लेकिन यह जरुरी नहीं है कि प्लेट्लेट्स कम होने पर डेंगू बुखार ही हो। डॉक्टरों के अनुसार वायरल बुखार होने पर भी प्लेटलेट्स कम हो जाता है। ऐसे में डरने की जरुरत नहीं होती है। बल्कि चेकअप करवाना चाहिए। उनका कहना है कि वायरल बुखार किसी भी वायरस की वजह से फैल सकता है। खासकर मौसम बदलाव के समय में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। इसमें गला खराब हो जाता है। ठंड के साथ बुखार, मांस पेशियों में दर्द उठती है। जैसे डेंगू में प्लेट्लेट्स कम हो जाते हैं। वायरल बुखार में भी प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं कि किसी बुखार में प्लेटलेट्स कम हो तो डेंगू बुखार ही है।
वायरल से कैसे बचा जा सकता है?
इसके लिए नियमित दिनचर्या रखना आवश्यक है। खान-पान में विशेष ध्यान रखनें। ठंड व गर्म मौसम से बचें। बदलते मौसम में ज्यादा ठंडा पानी पीने से भी परहेज करें।
मलेरिया बुखार और बचाव
मलेरिया बुखार एनोफिलियश मादा मच्छर के काटने से पनपता है। इसमें तेज बुखार, कंपकंपी छूटती है। सिरदर्द और बुखार चढ़ता-उतरता रहता है। मलेरिया बुखार से भी बचने के लिए घरों के आसपास मच्छरों को नहीं पैदा होने देना चाहिए।
डेंगू के लक्ष्ण
डेंगू एडीज नामक मच्छर के काटने से पनपता है। यह मच्छर बरसात के दिनों में सक्रिय होता है। यह साफ पानी में पैदा होता है। जैसे कूलर, गमले तथा टायरों आदि में भरा पानी। इसमें तेज बुखार होता है। तेज सिरदर्द होता है। खासकर आंखों के पिछले हिस्से में। मांस पेशियों व जोड़ों में दर्द। चमड़ी पर खूनी लाल रंग के चकत्ते पड़ जाते हैं। डेंगू बुखार होने पर प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। प्लेट्लेट्स 20 हजार से कम होने पर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। डेंगू की पुष्टि सिरोलाजी टेस्ट के बाद होती है।
डेंगू से कैसे बचा जा सकता है?
मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी के भीतर सोना चाहिए। घरों व आसपास मच्छर नहीं पैदा होने देने चाहिए। डेंगू मच्छर दिन में ज्यादा अटैक करता है इसीलिए पूरी बाजू का कपड़ा पहन कर रखना चाहिए। घरों में कूलर, गमले, गड्ढ़ों व टायरों में पानी कदापि न जमा होने दें। बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और रक्त जांच कराएं।