Sharjeel Imam: सांप्रदायिक शांति और सद्भाव की कीमत पर नहीं दी जा सकती बोलने की आजादी: कोर्ट
दिल्ली की कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ और भड़काने वाले भाषणों से जुड़े एक मामले में जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में वर्ष- 2019 में चले आंदोलन के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोपित जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत अर्जी शुक्रवार को साकेत कोर्ट ने खारिज कर दी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि शब्द बहुत अहम नहीं होते हैं, लेकिन व्यक्ति के विचार लंबे समय तक जिंदा रहते हैं। इसलिए सांप्रदायिक शांति व सद्भाव की कीमत पर किसी को बोलने की आजादी नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने फैसला सुनाते वक्त स्वामी विवेकानंद के विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि जैसे आपके विचार होते हैं वैसे ही आप भी होते हैं। कोर्ट ने ब्रिटिश पोएट जॉन मिल्टन के विचारों का भी जिक्र किया।
साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने शरजील इमाम के भाषण को लेकर कहा कि 13 दिसंबर 2019 के भाषण से साफ है कि उसमें सांप्रदायिकता और विभाजनकारी विचार थे। स्पीच में जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया वह समाज में शांति और सौहार्द बिगाड़ सकती थी। ऐसे में शरजील को जमानत नहीं दी जा सकती हे। कोर्ट ने स्वामी विवेकानंद के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि 'हम वही होते हैं, जो हमारे विचार हमें बनाते हैं। इसलिए आप क्या सोच रहे हैं, इस बात का ध्यान रखें। शब्द बहुत महत्वपूर्ण नहीं हैं, लेकिन विचार जिंदा रहते हैं। वे ज्यादा प्रभाव डालते हैं और दूर तक जाते हैं।' कोर्ट ने कहा कि शरजील दूसरे सह आरोपितों के मुकाबले समानता की बात नहीं कर सकता क्योंकि इस मामले में उसकी भूमिका अन्य आरोपितों के मुकाबले पूरी तरह से अलग थी।
गौरतलब है कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार शरजील इमाम ने वर्ष- 2019 में सीएए-एनआरसी के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान 13 दिसंबर 2019 को भड़काऊ भाषण दिया था। दो दिन बाद 15 दिसंबर को जामिया नगर में हिंसा भड़क गई थी। उपद्रवियों ने कई वाहन फूंक दिए थे और पुलिस पर हमला किया था। वहीं, फरवरी- 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में भी शरजील इमाम को आरोपित बनाया गया था जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 अन्य घायल हुए थे। आरोप है कि इन दंगों की साजिश का मास्टरमाइंड शरजील इमाम ही है।