प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाला शोध, 10 साल बाद दिल्ली नहीं रहेगी रहने लायक
हाल ही में हुई स्टडी की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि प्रदूषण खासकर दिल्ली में रह रहे लोगों की जिंदगी के 10 साल छीन रहा है।
नई दिल्ली/रायपुर, जेएनएन। पिछले कई वर्षों से दिल्ली के साथ एनसीआर में भी प्रदूषण से हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। अब तो दिल्ली का प्रदूषण लोगों के लिए बेहद जानलेवा साबित हो रहा है। हाल ही में हुई स्टडी की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि प्रदूषण खासकर दिल्ली में रह रहे लोगों की जिंदगी के 10 साल छीन रहा है। इस बीच एक नया शोध भी सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोका नहीं गया तो अगले 10 साल बाद वह जगह लोगों के रहने लायक नहीं रहेगी। एनआइटी की छात्रा मोनिका सिंह ने अपने शोध में यह निष्कर्ष दिया है।
'मॉडलिंग ऑफ एयर पाल्यूटेंट कन्जटेंसन इन न्यू देल्ही सिटी वाई यूजिंग आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क" शीर्षक पर उन्होंने शोध किया। इसमें पिछले 20 साल के डाटा का अध्ययन कर निष्कर्ष दिया गया है जो चौंकाने वाला है।
रिसर्च में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली में प्रदूषण का कारण अन्य शहर बन रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में फसल लेने के बाद पैरा (पराली) खेतों में जला दी जाती है। इस पर लाख सरकारी कोशिशों के बाद भी रोक नहीं लग रही और किसान जागरूक नहीं हो पा रहे हैं।
उधर जम्मू करीब होने के कारण हवाओं का दबाब बढ़ जाता है और कार्बन उत्सर्जन वाली हवाएं नीचे रह जाती हैं। इसके कारण प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो रहा है। इसी वजह से दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत हो रही है। आयकर ऑफिस इलाके का जायजा लेने पर ग्राफिकल आंकड़े चिंताजनक मिले हैं।
प्रति वर्ष 0.12 प्रतिशत का बढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ
न्यूरल नेटवर्क डाटा से किए गए अध्ययन में पाया गया कि पिछले 20 वर्षों में प्रतिवर्ष 0.12 फीसद की गति से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। बीच-बीच में यह गति तेज हो जाती है जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि यह रफ्तार बनी रही और प्रदूषणकारी साधनों से निपटा नहीं गया तो हालात गंभीर हो सकते हैं।
यहां पर बता दें कि बता दें, मौजूदा समय में भारत दुनियाभर के सबसे ज्यादा प्रदूषित देशों की लिस्ट में दूसरे पायदान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण से जीवन पर असर एक बार धूमपान करने, दोगुना अल्कोहल का सेवन करने, ड्रग्स लेने, तीन गुना ज्यादा गंदा पानी इस्तेमाल करने, एचआईवी-एड्स के पांच गुना संक्रमण और आतंकवाद या संघर्ष से 25 गुना अधिक प्रभाव के बराबर हो सकता है।
वहीं, दो दशकों में देशभर में प्रदूषण के स्तर में 69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय नागरिकों का जीवन 43 फीसदी कम हो रहा है। बता दें, साल 1988 में प्रदूषण के कारण भारतीय नागरिकों के जीवन में 22 फीसदी की कमी देखी गई थी, वहीं मौजूदा समय में ये बढ़कर 43 फीसदी हो गई है।