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खतरनाक ई-कचरे से चिंतित हुई दिल्‍ली, जानिए क्‍या किया उपाय

निगम मुख्यालय, जोन एवं वार्ड कार्यालयों से इलेक्ट्रॉनिक कचरा कलेक्शन सेंटर तक पहुंचाया जाए यह सुनिश्चित करने के लिए निगमआयुक्त ने सूचना विभाग के निदेशक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 07 Jul 2017 11:57 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jul 2017 09:13 AM (IST)
खतरनाक ई-कचरे से चिंतित हुई दिल्‍ली, जानिए क्‍या किया उपाय
खतरनाक ई-कचरे से चिंतित हुई दिल्‍ली, जानिए क्‍या किया उपाय

नई दिल्ली  [ संजीव कुमार मिश्र ] । दिल्ली को इलेक्ट्रॉनिक कचरे का हब बनने से बचाने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने ई-कचरे की खरीद- बिक्री और नीलामी के लिए 37 कलेक्शन सेंटर चिह्नित किए हैं। ई-कचरा इन्हीं कलेक्शन सेंटरों से खरीदा या नीलाम किया जाए यह सुनिश्चित करने के लिए तीनों नगर निगमों ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है। यही नहीं, साल में एक बार इसकी प्रगति की समीक्षा भी की जाएगी।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल ही में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से दिशा-निर्देश प्राप्त हुए थे। इसमें दिल्ली में ई-कचरे की खरीद, बिक्री के लिए 37 कलेक्शन सेंटर चिह्नित किए जाने की बात कही गई थी।

ये कलेक्शन सेंटर सभी जिलों में चिह्नित किए गए हैं। निगम मुख्यालय, जोन एवं वार्ड कार्यालयों से इलेक्ट्रॉनिक कचरा कलेक्शन सेंटर तक पहुंचाया जाए यह सुनिश्चित करने के लिए निगमआयुक्त ने सूचना विभाग के निदेशक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।

प्रदूषण नियंत्रण समिति के निर्देशों के तहत हर वर्ष 20 जून से पहले ई-कचरा निकलने या नहीं निकलने की स्थिति रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रतिदिन घरों से उठने वाले मिश्रित कचरे के जरिये इलेक्ट्रॉनिक कचरा लैंडफिल साइट न पहुंचे यह भी नोडल अधिकारी सुनिश्चित करेगा।

क्या है ई-कचरा

खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन, प्रिंटर्स, फोटोकॉपी मशीन, एलसीडी/टेलीविजन, रेडियो/ट्रांजिस्टर, डिजिटल कैमरा आदि।

ई-वेस्ट की कुल मात्रा

एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2005 में भारत में जनित ई-वेस्ट की कुल मात्रा 1.47 लाख मीट्रिक टन थी। वर्ष 2012 में ई-वेस्ट की मात्रा बढ़कर लगभग 8 लाख मीट्रिक टन हो गई है। दिल्ली में प्रतिवर्ष 9730.3 टन ई-कचरा निकलता है। 

ई-वेस्ट का प्रकार-विषाक्त पदार्थ-कुप्रभाव

1-प्रिंटेड सर्किट बोर्ड-लेड, कैडमियम- यकृत, तंत्रिका तंत्र, सिर दर्द।
2-मदर बोर्ड-बेरिलियम-त्वचा व दीर्घकालिका रोग।
3-कैथोड ट्यूब-लेड ऑक्साइड,  कैडमियम- हृदय, यकृत, मांसपेशियों से संबंधित समस्या।
4-स्विच, फ्लैट स्क्रीन मॉनिटर-मरकरी- मस्तिष्क, वृक्क, भ्रूण का अविकसित होना।
5-कम्प्यूटर बैटरी-कैडमियम-वृक्क, यकृत को प्रभावित करता है।
6-केबिल इन्सुलेशन कोटिंग-पॉली विनायल क्लोराइड-शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है।
7-प्लास्टिक हाउसिंग-ब्रोमीन-हार्मोनल तंत्र को प्रभावित करता है।



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