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स्वाति जयहिंद के फरमान से एनजीओ में खलबली, मुकदमों के संबंध में मांगा जवाब

महिला आयोग की अध्यक्ष के हवाले से सभी एनजीओ के प्रमुखों को पत्र जारी कर कहा गया कि वह हलफनामा सौंपकर बताएं कि उनके व उनके एनजीओ में काम करने वाले किसी भी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक या सिविल मुकदमा तो दर्ज नहीं है।

By Edited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 07:21 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 07:00 AM (IST)
स्वाति जयहिंद के फरमान से एनजीओ में खलबली, मुकदमों के संबंध में मांगा जवाब
स्वाति जयहिंद के फरमान से एनजीओ में खलबली, मुकदमों के संबंध में मांगा जवाब

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने आयोग के अधीन काम करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमुखों को पत्र लिखकर जल्द हलफनामा सौंपकर मुकदमे से संबंधित जवाब देने को कहा है। पत्र में प्रमुखों से कहा गया है कि वे हलफनामे के जरिये यह बताएं कि उनके और उनके कर्मचारियों के खिलाफ कोई आपराधिक या सिविल मुकदमा दर्ज तो नहीं है। साथ ही उन्होंने और उनके कर्मियों ने किसी अन्य के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज तो नहीं कराया है अथवा शिकायत तो नहीं की है।

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एनजीओ में खलबली
स्वाति जयहिंद के इस फरमान से एनजीओ में खलबली मची हुई है। कुछ एनजीओ के प्रमुखों का कहना है कि जब आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद के खिलाफ ही आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं तो वह दूसरों से ऐसी उम्मीद कैसे कर सकती हैं। एनजीओ के प्रमुख इस बात को लेकर परेशान हैं कि इस तरह के हलफनामे को लेकर आखिर वह क्या करेंगी। 

हलफनामा न देने का फैसला
सूत्रों के मुताबिक, कुछ एनजीओ के प्रमुखों ने हलफनामा न देने का फैसला किया है। तीन दिन पहले दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष के हवाले से सभी एनजीओ के प्रमुखों को पत्र जारी कर कहा गया कि वह हलफनामा सौंपकर बताएं कि उनके व उनके एनजीओ में काम करने वाले किसी भी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक या सिविल मुकदमा तो दर्ज नहीं है या उन्होंने किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज तो नहीं कराया है। हलफनामा नोटरी से सत्यापित कराकर जमा करने को कहा गया है।

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कई के खिलाफ मुकदमे भी हो सकते हैं
दिल्ली महिला आयोग महिला अपराध से संबंधित चार तरह के मसले पर काम करता है, जिनमें 24 गुना 7 हेल्पलाइन (हेल्पलाइन नंबर 181), महिला पंचायत, क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर और रेप क्राइसिस सेल शामिल हैं। इन चारों तरह के काम की जिम्मेदारी आयोग ने अलग-अलग एनजीओ को सौंपी हुई है। अनुमान के तहत आयोग के अधीन करीब 75 एनजीओ काम करते हैं, जिसमें 300 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। कई के खिलाफ मुकदमे भी हो सकते हैं।


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