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Delhi Violence Case: हाई कोर्ट ने केंद्र को बनाया पक्षकार, हिंसा मामले में मांगा जवाब

Delhi Violence Case उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 03:03 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 03:21 PM (IST)
Delhi Violence Case: हाई कोर्ट ने केंद्र को बनाया पक्षकार, हिंसा मामले में मांगा जवाब
Delhi Violence Case: हाई कोर्ट ने केंद्र को बनाया पक्षकार, हिंसा मामले में मांगा जवाब

नई दिल्ली, एएनआइ। उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र को पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने हिंसा मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में अब तक 48 एफआइआर दर्ज की गई है।

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पुलिस ने कोर्ट को बताया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए भड़काऊ बयान देने वाले अभी फिलहाल किसी नेता के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है क्योंकि इससे शांति बहाली में मदद नहीं मिलेगी।

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि याचिकाकर्ता भड़काऊ बयान देने वाले तीन भाषणों को चुना है। लेकिन ऐसे कई भाषण हैं जो लोगों को उकसाने वाले हैं।

बुधवार को हाई कोर्ट ने लगाई थी दिल्ली पुलिस को फटकार

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा मामले की विशेष जांच दल (एसआइटी) से जांच कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली में वर्ष 1984 की स्थिति नहीं बनने दे सकते। दिल्ली जल रही और हम कार्रवाई नहीं कर रहे।

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने भड़काऊ भाषण देने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा और भाजपा नेता कपिल मिश्र के खिलाफ एफआइआर नहीं दर्ज करने पर कड़ी नाराजगी जताई। पीठ ने अदालत में मौजूद विशेष पुलिस आयुक्त प्रवीण रंजन को कहा कि पुलिस कमिश्नर तक अदालत का संदेश तत्काल पहुंचाएं। उन्हें कहें कि वह सभी वीडियो को देखें और एफआइआर दर्ज करने पर चेतनापूर्ण निर्णय लें। 

हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा, उन्होंने भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआइआर क्यों नहीं दर्ज की? पीठ ने इस दौरान केंद्र को मामले में पक्षकार बनाने की सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता की मांग पर याचिकाकर्ता हर्ष मंदर व फरह नकवी को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश एसजी मेहता ने कहा, उन्हें अपना पक्ष रखने का समय दिया जाए और सुनवाई को गुरुवार तक के लिए स्थगित किया जाए। इस दौरान पुलिस की तरफ से पेश होने को लेकर तुषार मेहता व दिल्ली पुलिस के स्टैंडिंग काउंसल राहुल मेहरा के बीच तीखी बहस हुई।

दिल्ली पुलिस ने कहा, नहीं देखी कपिल मिश्र की वीडियो फुटेज

अदालत में उस समय सभी हैरान रह गए जब न्यायमूर्ति एस मुरलीधर ने एसजी मेहता से पूछा, क्या उन्होंने भड़काऊ बयान देने वाले तीनों वीडियो देखें, तो उन्होंने कहा, वह टीवी व न्यूज चैनल नहीं देखते। इस पर पीठ ने कोर्ट रूम में मौजूद डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश देव से पूछा कि क्या उन्होंने वीडियो देखा है तो उन्होंने जवाब दिया कि कपिल मिश्र का वीडियो उन्होंने नहीं देखा है। इस पर पीठ ने एक-एक करके अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्र का वीडियो कोर्ट रूम में दिखाने का आदेश दिया। कपिल मिश्र का वीडियो देखने के दौरान पीठ ने मिश्र के बगल में खड़े डीसीपी का नाम पूछा तो गोंसाल्वे ने बताया डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या।


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