दिल्ली के लोगों को ‘जहरीली’ प्लास्टिक से मिलेगी निजात, सरकार ने शुरु किया अभियान
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत कार्रवाई करते हुए डीपीसीसी की टीम ने फरवरी में 35 इकाइयों का निरीक्षण किया। इनमें से आठ इकाइयों को प्लास्टिक नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। इन्हें कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी कर बंद कर दिया गया है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। 2022 तक दिल्ली को ‘जहरीली’ प्लास्टिक से निजात मिल सकती है। 50 माइक्रोन तक की प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का उपयोग ही नहीं, बल्कि इनका उत्पादन भी बंद किया जाएगा। इसे लेकर एनजीटी व प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सख्ती के बाद दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) व दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी के साथ मिलकर अभियान छेड़ दिया है। इसमें ऐसे उत्पाद बनाने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
इलेक्ट्रॉनिक कचरे की तरह प्लास्टिक कचरा भी दिल्ली के लिए नासूर बनता जा रहा है। माइक्रो प्लास्टिक के कण लोगों के फेफड़ों से लेकर आंत तक को हानि पहुंचाते हैं। यही नहीं ये कण कैंसर की वजह भी बन रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में सालाना करीब 16 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। दिल्ली में यह आंकड़ा लगभग 800 टन प्रतिवर्ष है। विडंबना यह है कि देशभर में सिर्फ 1.5 फीसद प्लास्टिक कचरे का ही निस्तारण हो पा रहा है, दिल्ली में तो इतनी व्यवस्था भी नहीं है।
यही वजह है कि हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिल्ली की स्थिति को लेकर एक बैठक रखी थी। इसमें माइक्रो प्लास्टिक यानी सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का दिसंबर 2021 तक इस्तेमाल पूर्णतया बंद करने के निर्देश दिए थे। इस बैठक के बाद पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव के एस जयचंद्रन ने सिंगल यूज प्लास्टिक वाली वस्तुओं की एक सूची जारी करते हुए डीपीसीसी व दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी के नाम लिखित आदेश जारी किया है। इसमें इन वस्तुओं को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
उधर पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक सदियों तक न सड़ने वाली प्लास्टिक के सूक्ष्म कण भूजल को भी दूषित करते हैं। एक आकलन के अनुसार प्लास्टिक की बोतलें और डिस्पोजेबल प्लास्टिक से बने उत्पाद 450 साल तक पूरी तरह खत्म नहीं होते हैं। वहीं प्लास्टिक के ढक्कन चार सौ साल और मछली पकड़ने का जाल 650 साल तक नष्ट नहीं होता है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर भी असर पड़ता है।
प्रतिबंधित वस्तुएं
डिस्पोजेबल क्राकरी, पीने के पानी वाले पैक्ड ग्लास, प्लास्टिक की सजावटी वस्तुएं, प्लास्टिक की थैलियां, 50 मिलीमीटर या 50 ग्राम सामान वाले प्लास्टिक पाउच, गुब्बारे, प्लास्टिक से बने कान साफ करने वाले बड, झंडे, टेट्रा पैक वाले पाइप, पैकिंग वाली प्लास्टिक शीट, 500 मिलीमीटर तक के तरल पदार्थो वाली हल्की प्लास्टिक की बोतलें इत्यादि।
डीपीसीसी ने बंद कीं आठ इकाइयां
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत कार्रवाई करते हुए डीपीसीसी की टीम ने फरवरी में 35 इकाइयों का निरीक्षण किया। इनमें से आठ इकाइयों को प्लास्टिक नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया। इन्हें कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी कर बंद कर दिया गया है। वहीं नियमों का उल्लंघन करने वालों एवं प्रदूषणकारी इकाइयों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति मुआवजा के रूप में 8,82,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।