24 घंटे पानी देने का दावा चुनावी लालीपाप, पढ़िए हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव से पहले आप घरों में 24 घंटे पानी देने के जो वादे करते हैं उनका क्या? ये चुनावी लालीपाप हैं और आप इसे लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। आप वह सब भूल गए हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मच्छरों के संक्रमण को लेकर अदालत द्वारा शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव से पहले आप घरों में 24 घंटे पानी देने के जो वादे करते हैं उनका क्या? ये चुनावी लालीपाप हैं और आप इसे लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। आप वह सब भूल गए हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि यह वास्तव में दुखद और खेदजनक स्थिति है कि अदालतें वर्ष 2005 से नालों की गाद निकालने जैसे मुद्दों से निपट रही हैं और यह अभी भी चल रहा है।
पीठ ने कहा कि संक्रमण के खतरे को नियंत्रित करने के लिए दैनिक आधार पर अभियान और कार्रवाई शुरू करना नगर निकायों का कर्तव्य है। पीठ ने कहा कि शहर में जिन हाट-स्पाट में मच्छरों का प्रकोप अधिक है, उनकी नगर निगम और स्थानीय निकायों द्वारा पहचाना जाना चाहिए। साथ ही इन क्षेत्रों में इस मुद्दे से निपटने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। पीठ ने कहा कि टास्क फोर्स को भी 21 जनवरी की बैठक में इस पहलू से निपटना चाहिए और एक सामान्य प्रोटोकाल बनाना चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी और निर्देश देते हुए सुनवाई चार फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
24 दिसंबर, 2021 को पीठ ने सभी नगर निकायों को मच्छरों के प्रजनन की निगरानी और नियंत्रण के लिए संबंधित आयुक्तों की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन करने का निर्देश दिया था। शुक्रवार को बताया गया कि मुख्यालय और जोनल स्तर पर अलग-अलग टास्क फोर्स का गठन किया गया है और पहली बैठक चार जनवरी को हुई थी, जबकि अगली बैठक 21 जनवरी को होनी है।
अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड के सदस्य, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रैंक के एक अधिकारी और पीडब्ल्यूडी और सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता रैंक के एक अधिकारी को भी टास्क फोर्स की आगामी बैठक में भाग लेने का भी निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान मामले में अदालत मित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता रजत अनेजा ने कहा कि पिछले एक साल में बारिश दोगुनी हो गई है, लेकिन शहर में डेंगू के मामले नौ गुना बढ़ गए हैं। अधिकारियों को इसे नियंत्रित करने के लिए गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।
वरिष्ठ अधिकारियों की तय करें जिम्मेदारी : सुनवाई के दौरान जब निगमों की तरफ से पेश अधिवक्ता दिव्य प्रकाश पांडे ने कहा कि मुख्यालय और जोनल स्तर पर अलग-अलग टास्क फोर्स का गठन किया गया है, तो पीठ ने कहा कि प्रोटोकाल में वरिष्ठ अधिकारियों के राउंड शामिल होने चाहिए और काम जोनल अधिकारियों के निरीक्षकों पर नहीं छोड़ा जा सकता है। हम सभी जानते हैं कि जिस दिन एक वरिष्ठ अधिकारी साइट पर जाता है, सब कुछ साफ हो जाता है और सभी काम हो जाते हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों को दूर रखने की कोशिश न करें। टास्क फोर्स की विफलता या सफलता की जिम्मेदारी कौन लेगा, ताकि अगर यह विफल हो जाए, तो अधिकारियों को अवमानना के लिए पकड़ा जा सकता है। जिम्मेदारी आयुक्त की भी होनी चाहिए।