CBSE बोर्ड परीक्षाएं निरस्त करने के पक्ष में हैं अध्यापक, दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दी जानकारी
मनीष सिसोदिया ने बताया कि विद्यार्थियों ने भी बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों परिवारों को प्रभावित किया है। इसके बाद कोरोना के नए स्वरूप और ब्लैक फंगस जैसी बीमारियां फैल रहीं है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा रविवार को बोर्ड परीक्षाओं को लेकर होने वाली बैठक से पूर्व शनिवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के प्रधानाचार्यों, शिक्षकों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा के आयोजन को लेकर डिजिटल माध्यम से की गई बैठक के बाद विद्यार्थियों से इंस्टाग्राम लाइव पर भी सुझाव मांगे गए। सिसोदिया ने बताया कि बैठक के दौरान सभी अध्यापकों और प्रधानाचार्यों के बीच ये आम सहमति बनी कि सभी को वैक्सीनेशन के बिना बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन करवाना अध्यापकों और विद्यार्थियों को खतरे में डालना है। अध्यापकों ने कहा कि बोर्ड निरस्त होनी चाहिए।
मनीष सिसोदिया ने बताया कि विद्यार्थियों ने भी बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने की मांग की है। उनका कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों परिवारों को प्रभावित किया है। इसके बाद कोरोना के नए स्वरूप और ब्लैक फंगस जैसी बीमारियां फैल रहीं है। यदि इसके बावजूद बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है तो परीक्षा केंद्र इन बीमारियों के सुपर स्प्रेडर बन सकते है।उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान ज्यादातर स्कूलों ने यही सुझाव दिया कि 12वीं के छात्रों का मूल्यांकन पूरे साल द्वारा यूनिट टेस्ट, प्री-बोर्ड परीक्षाओं में किए गए उनके प्रदशर्न के आधार पर हो। साथ ही विद्यार्थियों को ये सुविधा भी दी जाए कि यदि वो अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है तो आगे इंप्रूवमेंट के लिए कुछ समय बाद परीक्षा दे सकते हैं।
किताबों और पाठ्यक्रम पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
वहीं, हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर एक निजी स्कूल के पाठ्यक्रम और पढ़ाई जाने वाली किताबों की सूची को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि स्कूल का पाठ्यक्रम शैक्षणिक बोर्ड की तरफ से जारी पाठ्यक्रम के विपरित है। दो बच्चों के अभिभावकों की तरफ से दायर की गई इस याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीएसई, दिल्ली सरकार और नेशनल कमिश्न फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट (एनसीपीसीआर) से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त के लिए तय की है।
याचिका में मांग की गई है कि स्कूल प्रबंधन को शैक्षणिक बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुसार ही पढ़ाने का आदेश दिया जाए। इस संबंध में दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने भी आदेश जारी किया था, लेकिन उन आदेशों को लागू नहीं किया जा रहा है। स्कूल की तरफ से बच्चों पर अपने पाठ्यक्रम के अनुसार महंगी किताबें लेने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में स्कूल प्रबंधन को इस संबंध में आदेश दिया जाए कि महंगी किताबों के बजाए शैक्षणिक बोर्ड की तरफ से जारी किताबों की सूची के मुताबिक ही उन्हें खरीदने को कहा जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिए जाएं कि छुट्टियों के बाद बच्चों की आनलाइन क्लास ली जाए।