अब एक जगह खड़े होकर देखिए पूरी दिल्ली, कुतुबमीनार से दोगुनी है ऊंचाई
यह पुल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। दरअसल इसकी ऊंचाई कुतुबमीनार से भी ज्यादा है। कुतुबमीनार की ऊंचाई जहां 73 मीटर है वहीं सिग्नेचर ब्रिज की ऊंचाई 154 मीटर है।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। सिग्नेचर ब्रिज से दिल्ली का टॉप व्यू देखने का सपना देख रहे राजधानी के लोगों का इंतजार खत्म होने जा रहा है। सिग्नेचर ब्रिज में अब सिर्फ आधा फीसद काम बचा है, जिसे मई के आखिरी तक पूरा कर लिया जाएगा। उम्मीद है कि जून से लोग सिग्नेचर ब्रिज के ऊपर चढ़कर दिल्ली का दीदार कर सकेंगे। यह पुल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। दरअसल इसकी ऊंचाई कुतुबमीनार से भी ज्यादा है। कुतुबमीनार की ऊंचाई जहां 73 मीटर है, वहीं सिग्नेचर ब्रिज की ऊंचाई 154 मीटर है।
यमुनापार वजीराबाद में बनाए गए सिग्नेचर ब्रिज को आवागमन के लिए नवंबर माह में खोल दिया गया था। हालांकि पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किए जाने का काम अभी तक चल रहा है। इसमें करीब 99.5 फीसद काम पूरा हो चुका है। अब सिर्फ पिलर व लिफ्ट के अलावा हल्के-फुल्के काम ही शेष बचे हैं। इसमें 154 मीटर ऊंचे मुख्य पिलर के 22 मीटर के ऊपरी बाक्स में कांच लगाने का काम भी करीब 65 फीसद पूरा हो चुका है। इस बाक्स में जाने के लिए लगाई जाने वाली चार लिफ्ट का काम भी करीब 75 फीसद पूरा हो चुका है। पिलर की सफाई के लिए यूरोप से मशीन आ गई है और इसे भी जल्द लगा लिया जाएगा। इसके अलावा मुख्य पिलर में लगाए गए तारों पर हवा का दबाव और भूकंप आदि के समय अलर्ट जारी करने के लिए सेंसर सिस्टम लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए एक कंट्रोल रूम बनाया जाना है।
वहीं पिलर को बनाने के लिए लगाए गए अस्थाई प्लेटफार्म को हटाने के लिए एक मई से काम शुरू होगा। इसके लिए यातायात बंद किया जाएगा। यह सभी कार्य 31 मई से पहले पूरे होने की उम्मीद है। इसके बाद जून के पहले या दूसरे सप्ताह में दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन निगम इसे लोक निर्माण विभाग को सौंप देगा।
छह सौ रुपये की हो सकती है टिकट
पिलर के ऊपरी भाग में जाने के लिए कितने रुपये का टिकट लगेगा इस पर दिल्ली सरकार निर्णय करेगी। हालांकि, पिलर की खूबसूरती और सुविधाओं को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसके लिए पर्यटकों को 600 रुपये का टिकट खरीदना पड़ सकता है।
2004 में बनाई गई थी योजना
14 साल पहले वर्ष 2004 में यह परियोजना बनाई गई थी, जिसे 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पूरा किया जाना था। इस परियोजना पर शुरू में 464 करोड़ की धनराशि निर्धारित की गई थी, लेकिन कुछ बदलाव के बाद योजना की लागत 2007 में दिल्ली सरकार ने 1100 करोड़ रुपये कर दी थी। अब इस परियोजना की राशि 1518.37 करोड़ रुपये पहुंच गई है। ब्रिज करीब 700 मीटर लंबा है। इसमें दोनों ओर चार-चार लेन हैं। यह 35.2 मीटर चौड़ा है।