Delhi Riots Safoora Zargar: जामिया कोर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को मिली जमानत
Delhi Riots Safoora Zargar इससे पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि गर्भवती होना जमानत पाने का आधार नहीं है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Delhi Riots Safoora Zargar: दिल्ली दंगा मामले में आरोपित एमफिल की छात्रा और सीएए व एनआरसी विरोधी जामिया कोर्डिनेशन कमेटी (जेसीसी) की सदस्य सफूरा जरगर को दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि मानवता के आधार पर गर्भवती सफूरा जरगर को जमानत देने पर उसे कोई एतराज नहीं है।
इससे पहले जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा था कि गर्भवती होना जमानत पाने का आधार नहीं है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर जमानत याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने कहा था कि आरोपित के खिलाफ गंभीर अपराध का मामला दर्ज है और उसे जमानत नहीं दी जा सकती। पुलिस ने कहा था कि आरोपित के खिलाफ पुख्ता सुबूत हैं जोकि दंगे में उसकी सीधी भूमिका साबित करते हैं। पुलिस ने कहा कि 23 सप्ताह की गर्भवती जरगर को अलग सेल में रखा गया है, जहां उसके कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने का सवाल ही नहीं उठता है।
पुलिस ने कहा था कि गंभीर अपराध में शामिल गर्भवती कैदी के लिए अलग से जमानत का कोई प्रावधान नहीं है। पुलिस ने पीठ को बताया कि गत 10 वर्षों में दिल्ली की जेलों में 39 बच्चों का जन्म हुआ है। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि यह मुकदमा देश व समाज के खिलाफ किए गए गंभीर अपराध का है और मामले की जांच अभी प्रारंभिक स्तर पर है लिहाजा आरोपित को जमानत देना आमजन व न्यायहित में नहीं होगा।
डीसीपी स्पेशल सेल के माध्यम से दायर रिपोर्ट में कहा गया था कि गवाहों व सह-आरोपितों के बयान से साफ होता है कि दिल्ली ही नहीं देश के अन्य हिस्सों में हुए दंगा मामले में जरगर सह-साजिशकर्ता हैं। रिपेार्ट में पुलिस ने कहा कि दंगे में तेजाब बम, लोहे की रॉड, तलवार, चाकू, पत्थर समेत अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और यह सब सुनियोजित योजना का हिस्सा था।
पुलिस ने कहा कि शाहीन बाग समेत दिल्ली में 21 स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया था, ताकि सरकार के खिलाफ मुस्लिम वर्ग की भावनाओं का सही समय पर सरकार को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में उन्हें कुछ हिदायत लेनी है, ऐसे में एक दिन का समय दिया जाए। जरगर के अधविक्ता नित्या रामाकृष्णन ने जब अनुरोध पर आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ ने पुलिस को एक दिन का समय देते हुए सुनवाई 23 जून के लिए स्थगित कर दी थी।
इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने यह कहते हुए जरगर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि जब आप आग से खेलना चुनते हैं तो हवा को दोष नहीं दे सकते हैं। अदालत ने कहा था कि जांच में सामने आया है कि सफूरा एक बड़ी साजिश की संदिग्ध है और अगर किसी साजिशकर्ता के खिलाफ साजिश के सुबूत हैं तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य हैं।
अदालत ने कहा था सह-साजिशकर्ताओं के कृत्य और भड़काऊ भाषण आरोपितों के खिलाफ भी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत स्वीकार्य हैं। फरवरी माह में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़का था और इस मामले में जरगर को गिरफ्तार किया गया था।