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2020 Delhi Riots: 16 फरवरी को रची थी दंगे की साजिश, चांदबाग में कई घंटे चली थी खुफिया बैठक

Delhi Violence दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) के सदस्यों में शामिल उमर खालिद नदीम खान अथर शरजील इमाम व पिंजरा तोड़ की सदस्यों ने हिंसा भड़काने के पूरे इंतजाम किए थे। इसके लिए महिलाओं का भी सहारा लिया गया।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 03:16 PM (IST)
2020 Delhi Riots: 16 फरवरी को रची थी दंगे की साजिश, चांदबाग में कई घंटे चली थी खुफिया बैठक
दिल्ली दंगों की सांकेतिक फोटो, जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]।  Delhi Violence:  दिल्ली में दंगा कराने के फैसले पर 16 फरवरी की रात ही मुहर लगा दी गई थी। उस रात दंगे के मुख्य आरोपित उमर खालिद ने चांदबाग स्थित कैंप कार्यालय में कई घंटे तक गोपनीय बैठक की थी। इसमें अथर खान, नदीम व ताहिर हुसैन सहित जामिया कॉआर्डिनेशन कमेटी व पिंजरा तोड़ की छात्राओं सहित स्थानीय नेता शामिल हुए थे। इसके बाद जाकिर नगर में भी उमर खालिद ने गोपनीय बैठक की थी। इसमें शरजील इमाम, उमर खालिद, ताहिर हुसैन, फैजल फारुख सहित कई लोगों ने हिस्सा लिया था।

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वाट्सऐप ग्रुप के सदस्य थे एक हफ्ते पहले सक्रिय

उमर खालिद द्वारा वाट्सएप पर बनाए गए दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) के सदस्यों ने दंगे से एक सप्ताह पहले ही सक्रियता बढ़ा दी थी। डीपीएसजी के सदस्यों उमर खालिद, नदीम खान, अथर, शरजील इमाम व पिंजरा तोड़ की सदस्यों ने हिंसा भड़काने के पूरे इंतजाम किए थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाहीनबाग में जब सड़क जाम करने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो शरजील ने कहा था कि वह जेएनयू के 200 छात्रों और 20-25 वकीलों को लाकर सड़क जाम करा लेगा।

वहीं 23 फरवरी को डीपीएसजी के सदस्यों द्वारा बसों से जहांगीरपुरी से 300 महिलाओं को पहले शाहीनबाग ले जाया गया। इसके बाद उन्हें जाफराबाद मेट्रो स्टेशन धरनास्थल पर छोड़ दिया गया। उन्हें हिंसा भड़काने के लिए कहा गया था। इसके बाद योजना के तहत उन्होंने सड़क जाम करने से रोकने पर पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया था। इसके बाद मौजपुर और चांदबाग आदि क्षेत्रों में हिंसा शुरू हो गई थी।

22 धरनास्थलों पर पिंजरा तोड़ व एमएसजे के सदस्य कर रहे थे नेतृत्व

दंगा कराने के लिए डीपीएसजी के सदस्यों ने पूरी तैयारी की थी। इसके लिए उमर खालिद, योगेंद्र यादव व ताहिर हुसैन सहित अन्य लोग ग्रुप में योजना बनाते थे। इसके बाद योजना के बारे में जामिया कोऑडिनेशन कमेटी को बताया जाता था। यही नहीं सभी 22 धरनास्थलों पर व्यवस्था की जिम्मेदारी पिंजरा तोड़ की सदस्य और मुस्लिम स्टूडेंट ऑफ जेएनयू (एमएसजे) के एक-एक सदस्य को दी गई थी। योजना की जानकारी इन सदस्यों को दी जाती थी, जिसे ये लोग धरने पर बैठे लोगों के साथ साझा करके उन्हें भड़काते थे।

ग्रुप के सदस्यों ने जताया था विरोध

एक सप्ताह पहले सक्रियता बढ़ा देने पर ग्रुप में शामिल समुदाय विशेष के लोगों में हलचल होने लगी थी। इसके बाद 17 फरवरी को डीपीएसजी ग्रुप के एक सदस्य ने कहा था कि आप लोगों ने हिंसा भड़काने की योजना बनाई है। आप ऐसा प्रयास न करें, क्योंकि इसमें नुकसान सभी को उठाना पड़ेगा। इस आपत्ति पर किसी ने जवाब नहीं दिया। इसी तरह 22 फरवरी को एक और सदस्य ने कहा कि तुम लोगों की वजह से सीलमपुर के अलावा पूरे यमुनापार के लोग चिंतित हैं। 1992 के दंगे के घाव अभी भरे नहीं हैं और इस तरह के व्यवहार से दोबारा दंगे हो सकते हैं। कफन बांधकर आए हैं, आखिर इस तरह के नारे लगाने का क्या मतलब है।

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