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दिल्ली दंगे के आरोपित शरजील इमाम व उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 23 नवंबर तक बढ़ी

उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 से 25 फरवरी के बीच दंगे हुए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दंगे से जुड़े मामलों में कोर्ट में आरोप पत्र दायर किए थे। उसमें शरजील इमाम और उमर खालिद पर दंगे की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 03:31 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 03:31 PM (IST)
दिल्ली दंगे के आरोपित शरजील इमाम व उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 23 नवंबर तक बढ़ी
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 से 25 फरवरी के बीच दंगे हुए थे।

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार जवाहर लाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र शरजील इमाम और उमर खालिद की न्यायिक हिरासत की समय सीमा कड़कड़डूमा कोर्ट ने 23 नवंबर तक बढ़ा दी है। शुक्रवार को पुलिस ने दोनों आरोपितों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आरोपितों की हिरासत अवधि बढ़ाने की अपील की थी।

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उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 से 25 फरवरी के बीच दंगे हुए थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दंगे से जुड़े मामलों में कोर्ट में आरोप पत्र दायर किए थे। उसमें शरजील इमाम और उमर खालिद पर दंगे की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। स्पेशल सेल ने इमाम को गत 25 अगस्त को गिरफ्तार किया था। जबकि, उमर खालिद को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उमर पर यह आरोप भी है कि उसने सीएए के विरोध में हुए धरनों में भड़काऊ भाषण दिए थे और लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरकर चक्का जाम करने की अपील की थी। बता दें कि इस दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी। 748 लोग घायल हुए थे।

दो कट्टा व नौ कारतूस के साथ दो आरोपित गिरफ्तार

वहीं, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने हथियार व कारतूस के साथ दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से दो कट्टा व नौ कारतूस बरामद किए गए। पुलिस इन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है। क्राइम ब्रांच के डीसीपी राकेश पावरिया के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम मनोज उर्फ गुलाब सिंह और दिनेश कुमार हैं। दोनों उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के नवाबगंज के रहने वाले हैं। इनके खिलाफ पहले के मामले दर्ज नहीं हैं। इनमें मनोज की संपत्ति का काम है। इसकी अपने गांव में प्रॉपर्टी को लेकर रंजिश चल रही है। दो साल पहले इसके बड़े भाई को विरोधी पक्ष के लोगों ने गोली मारकर घायल कर दिया था। गनीमत रही कि उनकी जान बच गई है। पूछताछ में मनोज ने बताया कि तभी से विरोधियों को सबक सिखाने और अपनी रक्षा के लिए वह अवैध हथियार और कारतूस रखता है।

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