दिल्ली दंगा: भागीरथी विहार में बुजुर्ग का घर जलाने के मामले में पहले दोषी को पांच साल कैद की सजा, 12 हजार रुपये जुर्माना
दिल्ली दंगे के मामले में सबसे पहले दोषी ठहराए गए दिनेश यादव उर्फ माइकल को बृहस्पतिवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 12 हजार रुपये जुर्माना लगाया है।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता ]। दिल्ली दंगे के मामले में सबसे पहले दोषी ठहराए गए दिनेश यादव उर्फ माइकल को बृहस्पतिवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 12 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट के कोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि दोषी की आर्थिक स्थिति कमजोर है, वह पीड़ितों को मुआवजा नहीं दे सकता। इस कारण मुआवजा राशि का निर्धारण नहीं किया जा रहा है।
ये है मामला
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले वर्ष फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़क गया था। दंगे में 25 फरवरी 2020 को गोकलपुरी इलाके के भागीरथी विहार डी-ब्लाक में 73 वर्षीय मनोरी के घर में दंगाइयों ने हमला कर दिया था। दंगाई उनके घर से जेवर, नकदी व सामान लूटने के साथ उनकी भैंस व बछड़ा ले गए थे। दंगाइयों ने उनके घर को आग लगा दी थी। यहीं पर उस दिन आरिफ और उसके भाई आशिक का मकान भी जलाया गया था।
इकलौते व्यक्ति पर तय हुए थे आरोप
इस घटना में 200 से 300 दंगाई शामिल थे, उनमें से सिर्फ दिनेश यादव उर्फ माइकल ही गिरफ्तार हुआ था। वह तीन जून 2020 से जेल में है। इस मामले में अभियोजन ने पीड़ितों सेमत 13 गवाह पेश किए थे। इन गवाहों में से बीट अफसर हेड कांस्टेबल सनोज और कांस्टेबल विपिन ने दिनेश यादव को दंगाई भीड़ के साथ देखा था।
दोनों पुलिस कर्मियों ने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने भीड़ में शामिल दिनेश को न तो घर में घुस कर लूटपाट व आगजनी करते हुए देखा और न ही पीड़िता मनोरी की भैंस व बछड़े को ले जाते देखा। बचाव पक्ष ने दलील थी कि वह सिर्फ वहां खड़ा हुआ था।
तीन अगस्त 2021 को कोर्ट ने कोर्ट ने दिनेश को दंगाई भीड़ में शामिल पाते हुए उसके खिलाफ 143 (गैर कानूनी समूह का सदस्य होने), 147 (दंगा करने), 148 (घातक हथियार का इस्तेमाल करने), 149 (गैर कानूनी समूह में समान मंशा से अपराध करने), 392 (लूटपाट करने), 436 (आग लगाने), 457 (छुप कर गृह-भेदन करने) और 506 (धमकी देने) का आरोप तय किया था।
दोषी ठहराने की वजह
कोर्ट ने दिनेश यादव को छह दिसंबर 2021 काे दोषी ठहराया था। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि घटना को अंजाम देने में सीधे तौर पर दोषी के शामिल होने पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, लेकिन वह दंगा कर रहे हिंदू समुदाय के उन लोगों की भीड़ में शामिल था, जो मुस्लिम समुदाय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस कारण वह हर उस अपराध का दोषी है, जिसे दंगाई भीड़ ने अंजाम दिया था।
हाई कोर्ट का रुख करेंगे दोषी के स्वजन
कड़कड़डूमा कोर्ट के निर्णय से दोषी दिनेश यादव उर्फ माइकल के स्वजन सहमत नहीं है। वह इस निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। दोषी के बड़े भाई हरीश यादव का कहना है कि वह जल्द हाई कोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने बताया कि उनका भाई घरों में पुताई करने का काम करता था। आरोप लगाया कि पुलिस उनके भाई को जबरन घर से उठा कर ले गई थी और इस समेत दंगे के 23 मामलों में फंसा दिया। इसी गम में 28 जून 2020 को उनके पिता जगन्नाथ यादव की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।
दंगे में यह दूसरी सजा
दिनेश यादव दंगे के मामलों का पहला दोषी जरूर ठहराया गया था, लेकिन उससे पहले 17 दिसंबर 2021 को दंगे में हेड कांस्टेबल पर पिस्तौल तानने के आरोपित शाहरुख पठान को अपने घर में शरण देने वाले कलीम अहमद को सजा सुनाई जा चुकी है। कलीम की न्यायिक हिरासत की डेढ़ साल की अवधि को उसकी कैद की सजा मानते हुए कोर्ट ने उसे दो हजार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था।