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दिल्ली दंगा : दुकान जलाने के मामले में आरोपित को नहीं मिली जमानत

बीते साल 25 फरवरी को गोकलपुरी इलाके में जितेंद्र की दवा की दुकान का शटर तोड़ दिया गया था। दंगाइयों ने लूटपाट करने के बाद उसमें आग लगा दी थी।इस मामले में आरोपित शाहनवाज उर्फ शानू की जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट में सुनवाई हुई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 09:02 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 09:02 AM (IST)
दिल्ली दंगा : दुकान जलाने के मामले में आरोपित को नहीं मिली जमानत
कोर्ट ने कहा गवाहों को डराया धमकाया जा सकता है इसलिब बेल नहीं दी जा सकती है।

नई दिल्ली, आशीष गुप्ता। दिल्ली दंगे में गोकलपुरी इलाके में लूटपाट के बाद दवा की दुकान जलाने के मामले में शनिवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने आरोपित शाहनवाज उर्फ शानू की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपित के खिलाफ भले ही कोई वीडियो फुटेज नहीं हैं, लेकिन कई चश्मदीद गवाह हैं। इन गवाहों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। यह भी आशंका है कि बाहर निकलने के बाद आरोपित गवाहों को डरा व धमका सकता है। जिस कारण उसे जमानत नहीं दी जा सकती।

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दंगाइयों ने तोड़ दी थी दुकान फिर की थी लूटपाट

गत वर्ष दंगे में 25 फरवरी को गोकलपुरी इलाके में जितेंद्र कुमार शर्मा की दवा की दुकान का शटर तोड़ दिया गया था। दंगाइयों ने दुकान में लूटपाट करने के बाद उसमें आग लगा दी थी। इस मामले में आरोपित शाहनवाज उर्फ शानू की जमानत अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव के कोर्ट में सुनवाई हुई।

शाहनवाज के वकील ने कहा झूठे मामले में फंसाया गया

आरोपित के वकील ने कहा कि शाहनवाज को झूठे मामले में फंसाया गया है। उसके खिलाफ एक भी वीडियो फुटेज नहीं है। इस बात पर भी जोर दिया कि मुकदमा तीन दिन की देरी से पंजीकृत किया गया। जिसमें शिकायतकर्ता ने शाहनवाज का नाम नहीं लिखा था। वहीं अभियोजन पक्ष ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के अलावा कई अन्य गवाहों ने आरोपित को दंगाई भीड़ में शामिल बताया है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत देने से किया इन्कार

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपित को जमानत देने से इन्कार कर दिया। एफआइआर में आरोपित का नाम न लिखे जाने की बात पर कोर्ट ने कहा कि वह अभियोजन पक्ष की इस बात से इत्तेफाक रखती है कि दंगे के वक्त दहशत का माहौल था, जिस कारण शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोपित का नाम नहीं लिखा।


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