दिल्ली दंगा : धार्मिक स्थल में आग लगाने के मामले में पुलिस को लगी फटकार, सब इंस्पेक्टर ने मांगी माफी
बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने अपवित्र तरीके से जांच में जल्दबाजी दिखाई है। इस मामले से जुड़े सब इंस्पेक्टर ने जांच में लापरवाही करने पर कोर्ट से माफी मांगी है।
नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे के दौरान शिव विहार के एक धार्मिक स्थल में आग लगाने के मामले में जांच करने के तरीके को लेकर बुधवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने अपवित्र तरीके से जांच में जल्दबाजी दिखाई है। इस मामले से जुड़े सब इंस्पेक्टर ने जांच में लापरवाही करने पर कोर्ट से माफी मांगी है।
25 फरवरी को दंगे के दौरान हुई थी घटना
गत वर्ष 25 फरवरी को दंगे के दौरान करावल नगर थाना क्षेत्र में शिव विहार के पास दंगाइयों ने दो गैस सिलेंडर रख कर धार्मिक स्थल में आग लगाई थी। एक पक्ष की अर्जी पर अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी कोर्ट ने इस मामले में अलग मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। दिल्ली पुलिस ने इस आदेश को चुनौती देने के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। उसमें बताया था कि इस हिंसा से जुड़ी एफआइआर संख्या 72 में जांच चल रही है। इस मामले में 17 मार्च को हुई सुनवाई में पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की कोर्ट को जानकारी दी कि गत वर्ष 25 फरवरी को ही इस घटना की प्राथमिक सूचना को डेली डायरी नंबर-35ए में दर्ज किया गया था। उसके आधार पर एफआइआर संख्या-55 दर्ज कर जांच की जा रही है।
नई एफआइआर का जिक्र करने पर उस दिन कोर्ट ने पुलिस की खिंचाई की थी। कोर्ट ने डेली डायरी और एफआइआर संख्या 55 में हुई जांच कर रिपोर्ट तलब की थी। इस मामले में 25 मार्च को सुनवाई में एसीपी खजूरी खास और करावल नगर थानाध्यक्ष ने कोर्ट में पेश होकर जांच की फाइल और डेली डायरी प्रस्तुत की थी। जिसे देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि केस डायरी बनाने में आपराधिक प्रक्रिया संहिता का पालन नहीं किया गया। साथ ही कहा कि कंप्यूटर पर दर्ज किए गए गवाहों के बयान पर जांच अधिकारी ने डिजिटल हस्ताक्षर करने के बजाय पेन से हस्ताक्षर किए हैं। जिससे यह पता नहीं चल पा रहा कि बयान और हस्ताक्षर एक ही दिन किए गए या नहीं।
बुधवार का इस मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी ने मामले की ठीक से जांच नहीं की है, जिससे पुलिस के लचर रवैये के बारे में पता चलता है। कोर्ट ने इस मामले में सब-इंस्पेक्टर से पूछा कि एसएचओ द्वारा यह मामला जांच के लिए सौंपा गया था, उसमें क्या जांच की।
सब इंस्पेक्टर ने कोर्ट को बताया कि वह कोरोना की चपेट में आ गए थे। कोर्ट ने पूछा कि जब कोरोना नहीं हुआ था, उस वक्त क्या जांच की थी। क्या आपने डीडी प्रविष्टि लिखी। आपने मामले में क्या किया। सभी से पूछताछ की गई थी। जवाब न दे पाने पर कोर्ट ने कहा कि अब आपकी जुबान बंद क्यों है। इस पर सब इंस्पेक्टर ने जवाब दिया कि उन्होंने कुछ नहीं किया था। इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि क्या इस बारे में पुलिस आयुक्त को लिखा जाए। उनके अधिकारी इस मामले में जांच करना जरूरी नहीं समझते। इस पर सब इंस्पेक्टर ने कोर्ट से माफी मांगी।