Move to Jagran APP

'बेहतर प्लानिंग से ही संवरेगी 2028 की दिल्ली, ईमानदारी से करना होगा काम'

अगर प्लानिंग और दृढ़ इच्छाशक्ति से चला जाए तो 2028 में भी दिल्ली रहने लायक बनी रहेगी। आज के लिए भी और भविष्य के लिए भी प्लानिंग बहुत जरूरी है। यह प्लानिंग सिर्फ कागजी न हो बल्कि उस पर ईमानदारी से काम किया जाए।

By Edited By: Published: Sun, 20 May 2018 07:45 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 06:00 AM (IST)
'बेहतर प्लानिंग से ही संवरेगी 2028 की दिल्ली, ईमानदारी से करना होगा काम'
'बेहतर प्लानिंग से ही संवरेगी 2028 की दिल्ली, ईमानदारी से करना होगा काम'

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। सिर्फ 10 सालों में दिल्ली के विश्व के सर्वाधिक आबादी वाला शहर बन जाने का पूर्वानुमान आम जन व टाउन प्लानरों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। सत्ता में बैठे राजनेता भले निश्चिंत हों, लेकिन इन टाउन प्लानरों ने स्थिति की बेहतरी के लिए कसरत करनी शुरू कर दी है। इनका मानना है कि अगर प्लानिंग और दृढ़ इच्छाशक्ति से चला जाए तो 2028 में भी दिल्ली रहने लायक बनी रहेगी। इसी सामयिक मुद्दे पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के पूर्व योजना आयुक्त रामगोपाल गुप्ता ने दैनिक जागरण से लंबी बातचीत की।

loksabha election banner

बेहतर प्लानिंग जरूरी

आज के लिए भी और भविष्य के लिए भी प्लानिंग बहुत जरूरी है। यह प्लानिंग सिर्फ कागजी न हो बल्कि उस पर ईमानदारी से काम किया जाए। हर स्टेज पर प्लानिंग होनी चाहिए। चाहे वह आवासीय जरूरतों की हो, सीवरेज एवं पेयजल की हो, चाहे परिवहन का मुद्दा हो और चाहे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का। आबादी और उपलब्ध सुविधाओं के अनुपात को ध्यान में रखकर प्लान बनाना होगा। जोनल स्तर पर भी प्लान बनाने होंगे। प्लान बनाने के बाद उस पर सख्ती और ईमानदारी से काम करना होगा।

मास्टर प्लान का पालन जरूरी

अगले 15 साल का मास्टर प्लान इसीलिए बनाया जाता है ताकि भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सके। लेकिन, प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक हीलाहवाली से इस पर ईमानदारी से क्रियान्वयन नहीं हो पाता। इसी वजह से दिल्ली की दो तिहाई आबादी दोयम दर्जे की कॉलोनियों में रह रही है, अनधिकृत कॉलोनियों का जंजाल फैल रहा है और वर्तमान में सीलिंग की समस्या से भी इसीलिए जूझना पड़ रहा है। जबकि 2021 का मास्टर प्लान बना हुआ है। केवल उसके सेक्शन 8 पर ध्यान देने की जरूरत है। इस सेक्शन के अनुसार हर जोन का विकास प्लान तैयार करना है। इस जोनल प्लान में सब कुछ तय होगा कि कहां मकान बनेंगे, कहां पार्क, कहां स्कूल, कहां मार्केट, कहां सड़क और कहां अन्य सुविधाएं। यह जोनल प्लान अविलंब तैयार कर इन पर काम शुरू कराया जाना चाहिए।

अपनाना होगा पीपीपी मॉडल

विकास योजनाओं को सिर्फ सरकारी जिम्मेदारी से पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए तमाम योजनाओं को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल से ही आगे बढ़ाना होगा। इस मॉडल को अपनाने पर जवाबदेही भी तय होती है और व्यवहारिकता भी देखने में मिलती है। पीपीपी मॉडल से भविष्य की जरूरतों और उन्हें पूरा करने का अनुमान भी बेहतर ढंग से लगाया जा सकेगा।

राजनीति और विकास एक साथ संभव नहीं

वोट बैंक की राजनीति और विकास एक साथ संभव नहीं है। दुर्भाग्य से दिल्ली में ऐसा ही हो रहा है। प्लानिंग को क्रियान्वित करने के लिए ईमानदारी ही नहीं, सख्ती और दृढ़ इच्छाशक्ति भी चाहिए। अनधिकृत कॉलोनियां बसने से रोकनी होंगी जबकि मौजूदा कॉलोनियों के पुनर्विकास को बढ़ावा देना होगा। परिवहन सुविधाओं के लिए बसें नहीं बल्कि मेट्रो, मोनो रेल और रैपिड रेल ट्रांजिट कॉरिडोर को बढ़ावा देना चाहिए। सडकों पर अभी जगह नहीं रह गई है।

पानी एवं सीवरेज लाइन डालना जरूरी

ठोस कचरा प्रबंधन लागू करना होगा और हरित क्षेत्र को बढ़ावा देना होगा। शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में भी अधिक व्यवहारिकता लानी होगी। व्यावसायिक कोर्सों को प्रोत्साहन दिया जाए जिससे कालेजों के परंपरागत पाठयक्रमों का बोझ कम हो। घर के करीब डिस्पेंसरियों में ही बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलें ताकि अस्पतालों पर दबाव कम हो सके। साथ ही गांवों के लिए भी बेहतर प्लानिंग की जाए ताकि शहरों में आबादी का दबाव घट सके।

यह भी पढ़ें: 2028 में दिल्ली होगा विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला शहर, 2050 में हो सकता ये हाल
 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.