International Trade Fair: उत्पाद और हुनर ही नहीं, आपको मिलेगा 'जज्बा' भी; संघर्ष और सफलता की कहानियां सुना रहा व्यापार मेला
42 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देशी विदेशी उत्पाद और हुनर ही नहीं बल्कि संघर्ष और सफलता की कहानियां भी दर्शकों को खासी आकर्षित कर रही हैं। यहां पर एक दो नहीं बल्कि अनेक ऐसी महिला कलाकार आई हैं जिनका कला के प्रति समर्पण मन में कामयाबी का नया जज्बा पैदा करता है। इनमें से कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। 42 वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देशी विदेशी उत्पाद और हुनर ही नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की कहानियां भी दर्शकों को खासी आकर्षित कर रही हैं। यहां पर एक दो नहीं बल्कि अनेक ऐसी महिला कलाकार आई हैं, जिनका कला के प्रति समर्पण मन में कामयाबी का नया जज्बा पैदा करता है।
इनकी मेहनत का इससे बड़ा नमूना क्या होगा कि इनमें से कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी हैं। मेले में आ रहे दर्शकों को भी इनसे जीवन में बेहतर करने की प्रेरणा मिल रही है।
सहपाठी की आर्थिक मदद से शुरू किया व्यवसाय
झारखंड मंडप में स्टाल लगाने वाली जमशेदपुर की काजल बताती है कि उन्हें शुरू से प्रेरक कहानियां पढ़ने का शौक था। उन्हें यह पढ़कर प्रेरणा मिलती थी कि कैसे लोग छोटी उम्र में बड़ी कामयाबी तक पहुंच रहे हैं। 25 वर्षीय काजल का सपना भी कुछ नया करने और स्वावलंबी बनने का था, लेकिन पिता की आर्थिक स्थिति बाधा बन रही थी। ऐसे में उनके सहपाठी अनिल ने उनकी आर्थिक मदद की। 2019 में काजल ने फैब्रिक पर ट्राइबल पेंटिंग कर ज्वेलरी बनाने का सफर प्रारंभ किया। इस समय उनके साथ 20 से अधिक महिलाएं काम कर रही है। मेले में भी उनकी ज्वैलरी को खासा पसंद किया जा रहा है।
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सरस मंडप में कोल्हापुरी चप्पलों के स्टाल पर दीपाली।
कोल्हापुरी चप्पलों के दिल्ली वाले भी दीवाने
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले से आई हुईं संत रोहीदास स्वयं सहायता समूह की दीपाली सूर्यकांत पोवार ने सरस मंडप में कोल्हापुरी चप्पलों का स्टाल लगाया है। कोल्हापुरी चप्पलों में सभी प्रकार के डिजाइन इनके पास उपलब्ध हैं जो दिल्ली वालों को खासा आकर्षित कर रही हैं। सरस मंडप में ही महाराष्ट्र के सतारा जिले से आई हुईं सुरेखा जाधव ज्वार रोस्टेड, रागी रोस्टेड और बाजरा रोस्टेड मिलेट्स के कुछ खास आइटम लेकर आई हैं। ये भी दिल्ली एनसीआर के लोगों को पसंद आ रहे हैं। इनकी मेहनत और संघर्ष भी इनके उत्पाद देखकर स्वत: बयां हो जाता है।

नाजदा खातून के सिक्की कला से बनाए उत्पाद देखते मेला दर्शक।
मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति से भी मिल चुका सम्मान
नाजदा खातून अपने पति मोहम्मद जैफ के साथ जयनगर, मधुबनी बिहार से व्यापार मेले में आई हैं। बिहार मंडप में इनका सिक्की कला का स्टाल है। उनके सभी उत्पाद हस्तनिर्मित हैं। वह बताती हैं कि जब वह 10 साल की थीं, तभी उन्होंने उत्पाद बनाना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने परिवार को भी प्रशिक्षित किया और सभी ने झुमके, हार, फूलदान और बहुत कुछ बनाने में उनकी मदद की। उन्हें देश के राष्ट्रपति, बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। वह लोगों को उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण देती हैं। उन्हें जापान जाकर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिला। उन्होंने व्यापार मेले को अपने उत्पाद अधिक लोगों को दिखाने के अवसर के रूप में लिया है।
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दिल्ली मंडप में तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पाद देखते दर्शक।
कैदियों के बनाए उत्पाद भी आकर्षण का केंद्र
दिल्ली मंडप में तिहाड़ सेंट्रल जेल के स्टाल पर दर्शकों की भीड़ देखते ही बनती है। जेल नंबर 16 के कैदियों द्वारा बनाए गए ज्वैलरी उत्पाद, जेल नंबर छह के कैदियों द्वारा तैयार महिला उपयोगी उत्पाद, जेल नंबर दो के कैदियों द्वारा बनाए गए बेकरी उत्पाद एवं जेल नंबर चार के कैदियों द्वारा बनाए गए जूट बैग सहित तकरीबन 100 से अधिक उत्पाद भी लोगों को काफी लुभा रहे हैं। इन सभी कैदियों के संघर्ष की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।

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