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Delhi Power News: मुंबई की तरह अंधेरे में नहीं डूबेगी दिल्ली, कुछ इस तरह है तैयारी

दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड के प्रवक्ता डॉ. ऋषि राज का कहना है कि आइलैंडिंग व्यवस्था की वजह से दिल्ली के बिजली संयंत्रों के साथ ही दादरी और झज्जर बिजली संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली ग्रिड में जाने के बजाय राजधानी के फीडर में पहुंचने लगेगी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 07:42 AM (IST)
Delhi Power News: मुंबई की तरह अंधेरे में नहीं डूबेगी दिल्ली, कुछ इस तरह है तैयारी
मिलती रहेगी साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। ग्रिड फेल होने से मुंबई की तरह पूरी राजधानी में कभी भी बिजली गुल नहीं होगी। न तो दिल्ली की लाइफलाइन मेट्रो थमेगी और न अस्पतालों, जल आपूर्ति व अन्य आवश्यक सेवाओं में किसी तरह की बाधा आएगी। महत्वपूर्ण इमारतों में भी बिजली की आपूर्ति जारी रहेगी। दरअसल आठ साल पहले उत्तरी ग्रिड फेल होने से राजधानी भी कई घंटों तक अंधेरे में डूबी रही थी। उसके बाद राजधानी को इस तरह के संकट से बचाने के लिए बिजली आइलैंडिंग की व्यवस्था की गई है।

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बिजली के मामले में आइलैंडिंग का मतलब होता है किसी खास क्षेत्र को ग्रिड से अलग कर देना। दिल्ली के साथ ही पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ उत्तरी ग्रिड से जुड़े हैं। इस ग्रिड के फेल होने पर अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी अंधेरा न छा जाए, इसके लिए आइलैंडिंग की व्यवस्था की गई है।

इस व्यवस्था से ग्रिड फेल होने की सूरत में दिल्ली उत्तरी ग्रिड से अलग हो जाएगी और यहां संयंत्रों से बिजली आपूर्ति होती रहेगी। दिल्ली में 400 केवी के चार और 220 केवी के 39 ग्रिड हैं, जिनके जरिये डिस्कॉम के सब स्टेशनों को बिजली पहुंचती है।

मिलती रहेगी साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली

ग्रिड फेल होने की स्थिति में भी दिल्ली को साढ़े तीन से चार हजार मेगावाट तक बिजली मिलती रहेगी। दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड के प्रवक्ता डॉ. ऋषि राज का कहना है कि आइलैंडिंग व्यवस्था की वजह से दिल्ली के बिजली संयंत्रों के साथ ही दादरी और झज्जर बिजली संयंत्र से पैदा होने वाली बिजली ग्रिड में जाने के बजाय राजधानी के फीडर में पहुंचने लगेगी। इससे यहां बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी। पूरी दिल्ली में कभी भी एक साथ बिजली गुल नहीं हो, इसके लिए बिजली नेटवर्क को चार हिस्सों में बांटा गया है।

एक में खराबी आने पर अन्य तीन हिस्सों में बिजली आपूर्ति होती रहेगी। पावर ग्रिड फेल होने की वजह बिजली का ट्रांसमिशन 49-50 ह‌र्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर होता है। फ्रीक्वेंसी के उच्चतम या न्यूनतम स्तर तक पहुंचने पर पावर ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में ट्रांसमिशन लाइन पर ब्रेकडाउन लग जाता है, जिसे ग्रिड फेल होना कहते हैं। ग्रिड फेल होते ही बिजली की आपूर्ति रुक जाती है।

आठ वर्ष पहले थम गया था जनजीवन

30 व 31 जुलाई, 2012 को उत्तरी ग्रिड के फेल होने से दिल्ली सहित उत्तर भारत में बिजली संकट छा गया था। दिल्ली में मेट्रो और रेल व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी। स्ट्रीट लाइटें बंद होने से सड़कों पर जाम लग गया था। पूरी दिल्ली में बिजली न होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। सोमवार को मुंबई में भी ग्रिड फेल होने से कई घंटे बिजली आपूर्ति बाधित रही थी।

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