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JNU violence में और होगा खुलासा, व्‍हाट्सऐप ग्रुप के 34 लोगों को दिल्‍ली पुलिस भेजेगी नोटिस

दिल्‍ली पुलिस जेएनयू हिंसा मामले में जल्‍द और खुलासा करने वाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस व्‍हाट्सऐप ग्रुप के 34 लोगों को नोटिस जारी करेगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 04:25 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 05:04 PM (IST)
JNU violence में और होगा खुलासा, व्‍हाट्सऐप ग्रुप के 34 लोगों को दिल्‍ली पुलिस भेजेगी नोटिस
JNU violence में और होगा खुलासा, व्‍हाट्सऐप ग्रुप के 34 लोगों को दिल्‍ली पुलिस भेजेगी नोटिस

नई दिल्‍ली, एएनआइ। दिल्‍ली पुलिस जेएनयू हिंसा मामले में जल्‍द और खुलासा करने वाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्‍ली पुलिस व्‍हाट्सऐप ग्रुप के 34 लोगों को नोटिस जारी करने वाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उस व्‍हाट्सऐप ग्रुप में 43 लोग थे जिनमें से 34 लोगों को नोटिस जारी किया जाएगा।

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कुल आठ लोगों से पूछताछ हो चुकी है, जिनमें तीन वह लोग हैं जिनके नाम दिल्‍ली पुलिस ने नामित किए थे। बता दें कि पांच जनवरी की शाम को जेएनयू कैंपस में मारपीट हुई थी, जिसमें कुछ बाहर से नकाबपोश लोग भी शामिल हुए थे। बाद में दिल्‍ली पुलिस ने यह खुलासा किया कि इस मामले में छात्र संगठन के सदस्‍य ही शामिल थे। 

पुलिस आयुक्‍त अमूल्‍य पटनायक की संसदीय समिति के साथ बैठक में उठे सवाल

इधर इस मामले में गृह मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति की बैठक में छात्र आंदोलन से निपटने के दौरान पुलिस के बल प्रयोग पर सवाल उठाए गए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक के साथ-साथ गृह मंत्रालय के अधिकारियों से कई सवाल पूछे गए। इनमें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई, छात्रों पर एक्शन, धारा 144 लगाने जैसे मामले शामिल हैं।

पुलिस कार्रवाई कहां तक उचित

वैसे संसदीय समिति में सीधे तौर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम नहीं लिया गया, लेकिन सांसदों ने जानना चाहा कि छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई कहां तक उचित है? विपक्षी सांसदों ने छात्रों के खिलाफ हुए एक्शन पर सवाल खड़े किए। विरोध प्रदर्शन के दौरान कई स्थानों पर धारा 144 लगाने और इंटरनेट बंद किए जाने पर भी उन्होंने सवाल किए। विपक्षी नेताओं ने सुझाव दिया कि छात्र आंदोलनों से निपटने के तरीके पर पुनर्विचार होना चाहिए और सीधे पुलिस कार्रवाई के बजाय पहले छात्र नेताओं से बात किया जाना चाहिए। 

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