ठेकेदारी और समितियों की आड़ में कारतूस पहुंचाता था नक्सली, गढ़चिरौली से जुड़े तार
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नक्सली को गिरफ्तार करने के लिए प्लान बनाया। पुलिस को काफी समय तक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कैंप करना पड़ा।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हत्थे चढ़ा इनामी नक्सली नेता अजीत रे काफी शातिर है। पुलिस को चकमा देने के लिए वह सरकारी काम की ठेकेदारी करता था और कई गांवों में बनी समितियों का भी नेता बना था। इसी आड़ में नक्सलियों तक कारतूस की आपूर्ति करता था। इसलिए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को उसे गिरफ्तार करने के लिए काफी समय तक महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कैंप करना पड़ा।
गढ़चिरौली से जुड़े तार
डीसीपी स्पेशल सेल प्रमोद सिंह कुशवाहा ने बताया कि 12 जुलाई को स्पेशल सेल की टीम ने सबसे पहले बिहार निवासी राम कृष्णा सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसके पास से इन्सास, एसएलआर, पुलिस राइफल व प्वाइंट 32 बोर के 407 कारतूस मिले थे। उसने बताया था कि वह 2015 से नक्सलियों से जुड़ा था। बिहार के आरा से कारतूस लेकर गढ़चिरौली स्थित सीपीआइ माओइस्ट के कमांडरों को पहुंचाता था।
जुड़ते गए तार
राम कृष्णा सिंह से पूछताछ के बाद सेल ने 13 अक्टूबर को आरा में छापेमारी कर संजय सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार किया और उसके पास से भी 22 कारतूस बरामद हुए। राम कृष्णा सिंह ने अजीत रे के बारे में भी काफी जानकारी दी थी। उसी आधार पर स्पेशल सेल काफी समय से गढ़चिरौली में कैंप कर रही थी और नौ नवंबर को अजीत रे को भी गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई।
हेड कमांडर साईनाथ को भी पहुंचाता था कारतूस
पूछताछ में अजीत रे ने पुलिस बताया कि शुरू में वह गढ़चिरौली में नक्सलियों के स्थानीय कमांडर संतोष अन्ना के लिए काम करता था और उसके साथ ही रहता था। बाद में नक्सलियों के हेड कमांडर साईनाथ को कारतूस पहुंचाने लगा। साईनाथ पैरीमली दल्ला का हेड कमांडर था। बीते अप्रैल में गढ़चिरौली के बोरिया इलाके में सेना के साथ मुठभेड़ में जो 40 नक्सली मारे गए थे, उनमें साईनाथ भी शामिल था। साईनाथ की मौत के बाद अजीत रे नक्सलियों की नई कमांडर बनी नर्मदा अक्का के लिए काम करने लगा था।