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सर्वे रिपोर्ट का सच, विभिन्न प्रकार के मनोरोग से ग्रसित हैं 52 फीसद पुलिसकर्मी

52 फीसद पुलिसकर्मी विभिन्न प्रकार के मनोरोग से ग्रसित हैं। विडंबना यह है कि पुलिसकर्मियों के इलाज के लिए अलग से न ही अस्पताल है और न ही कोई मनोचिकित्सक।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 02 Jan 2017 08:57 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jan 2017 07:36 AM (IST)
सर्वे रिपोर्ट का सच, विभिन्न प्रकार के मनोरोग से ग्रसित हैं 52 फीसद पुलिसकर्मी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिसकर्मियों द्वारा दु‌र्व्यवहार किए जाने, चिड़चिड़ापन, थानों में शिकायत ठीक ढंग से न सुनने व मानवीय दृष्टिकोण न अपनाने आदि की शिकायत प्राय: हर व्यक्ति करता है। इसके पीछे बड़ा कारण पुलिसकर्मियों का तनावग्रस्त होना बताया जा रहा है। तनाव घंटों ड्यूटी करने, छुट्टी न मिलने, पारिवारिक अथवा व्यक्तिगत कारणों से होता है। इन वजहों से पुलिसकर्मी खुदकशी भी कर लेते हैं।

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पुलिस आयुक्त महकमे को तनाव मुक्त रहने के नसीहत तो देते हैं लेकिन पुलिसकर्मियों द्वारा उसे अमल में न लाने से कोई फायदा नहीं हो रहा है। करीब 10 साल पहले बेंगलुरु स्थित एक मनोवैज्ञानिक संस्था निम्हांस ने दिल्ली के सभी थानों व अन्य यूनिटों में घूमकर सर्वे किया था।

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सर्वे में बताया गया था कि 52 फीसद पुलिसकर्मी विभिन्न प्रकार के मनोरोग से ग्रसित हैं। विडंबना यह है कि पुलिसकर्मियों के इलाज के लिए अलग से न ही अस्पताल है और न ही कोई मनोचिकित्सक। खोसला कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस जीडी खोसला ने भी थानों का अध्ययन करने के बाद कहा था कि पुलिस में काम करने के घंटे तय नहीं हैं। काम के अत्यधिक बोझ के कारण पुलिसकर्मियों में तनाव धीरे-धीरे उनकी कमजोरी बन जाती है। जिससे चिड़चिड़ापन व निराशा आ जाती है।

तनाव की बड़ी वजह विभाग में कर्मियों का टोटा है, जिससे उन्हें डबल ड्यूटी करनी होती है। खुदकशी की बढ़ रही घटनाओं को देखते हुए पिछले साल पूर्व पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी ने दिल्ली पुलिस की सभी यूनिटों व थानों को निर्देश दिया था कि वे तनावमुक्त रहने की कोशिश करें और आला अधिकारियों से खुलकर अपनी समस्याओं को साझा करें।

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सभी जिले के डीसीपी, थानों के प्रभारी, स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, स्पेशल ब्रांच, पीसीआर, ट्रैफिक, डीआइयू, महिला अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा, साइबर सेल, विजिलेंस आदि के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अपने अपने जगहों पर दिन या शाम के वक्त ब्रीफिंग के दौरान तनाव को लेकर स्वस्थ चर्चा जरूर करें। अगर किसी के पास ड्यूटी या अधिकारियों के सख्त व्यवहार, छुट्टी को लेकर कोई परेशानी हो तो उसके बारे में सभी सहकर्मियों के पास चर्चा करें। क्योंकि हो सकता है उसकी पारिवारिक समस्या भी दूर किया जा सके लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ।

पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने भी गत वर्ष मार्च में पुलिसकर्मियों और अफसरों के लिए बाराखंभा रोड थाने के ऑडिटोरियम में चार दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया था। जिसमें तनावमुक्त रहने के कई टिप्स दिए और बताया कि योग और नियमित व्यायाम से उनका तनाव कम होगा और पारिवारिक झगड़ों जैसी समस्याएं भी दूर होंगी। वर्मा की नसीहत को भी अमल में नहीं लाया गया।


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