जानिए किस रणनीति के तहत उपद्रवियों के बीच लगाए गए थे दिल्ली पुलिस के जवान
इन दिनों दिल्ली में हो रहे उपद्रव को कंट्रोल करने के लिए एनएसए अजीत डोभाल ने इजरायली रणनीति के तहत काम करने के टिप्स दिए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दिल्ली पुलिस ने एक बेहद गुप्त प्लानिंग की जिससे शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद किसी तरह का बड़ा बवाल न होने पाएं। वो इसमें काफी हद तक कामयाब भी रहे मगर अंधेरा होने के बाद उपद्रवी उत्पात मचाने से बाज नहीं आए।
पूरा दिन शांति से गुजर जाने के बाद शाम को दूसरे राउंड में जब फिर सैकड़ों लोगों की भीड़ दरियागंज की सड़कों से होते हुए दिल्ली गेट की ओर बढ़ी तब भी काफी हद तक शांति थी मगर जब इस भीड़ में शामिल उपद्रवियों ने थाने के बाहर खड़ी कार को आग के हवाले कर दिया और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया तब पुलिस का धैर्य जवाब दे गया। उसके बाद पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू की और उपद्रवियों को दूर तक खदेड़ा फिर मामला शांत हो सका।
दरअसल जामिया नगर और सीलमपुर में जो हिंसक प्रदर्शन हुए थे उससे पुलिस की कार्यप्रणाली और खुफियातंत्र पर सवाल उठने लगे थे। ये भी कहा जा रहा था कि आखिर अचानक से इतने लोग कैसे प्रदर्शन करने के लिए पहुंच गए। सबसे बड़ी नाकामयाबी दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेड्स कालोनी की सड़कों पर हुए पथराव को माना जा रहा था, ये वीआइपी इलाका है और यहां दिल्ली के नामी गिरामी लोग रहते हैं। ये पहला मौका था जब यहां के रहने वाले दंगा होने के बाद इतने डर गए।
अजीत डोभाल ने दिए टिप्स
इन दोनों घटनाओं से सबक लेते हुए एनएसए अजीत डोभाल ने कुछ दिन पहले इमरजेंसी मीटिंग बुलाई, इस मीटिंग में दिल्ली पुलिस के टॉप अफसरों, स्पेशल सेल, साइबर सेल, लॉ एंड ऑर्डर और क्राइम ब्रांच के तमाम अधिकारी मौजूद रहे। इसी मीटिंग में वो इलाके चिन्हित किए गए जहां पर शुक्रवार यानि जुम्मे के दिन हंगामा होने के आसार थे।
इन सब इलाकों को चिन्हित करने के बाद ये तय किया गया कि एक तो सभी को बड़ी मस्जिदों में चेक करने के बाद नमाज पढ़ने के लिए अंदर जाने दिया जाए, दूसरे जब नमाज अता हो जाए उसके बाद दिल्ली पुलिस के सिपाही भी इन लोगों की भीड़ का हिस्सा रहें जिससे यदि इस भीड़ में से कोई उपद्रव करने की कोशिश करें तो उसे तुरंत रोका जा सके। इनके पास जरूरी सामान भी हो और सभी एक दूसरे से इतनी दूरी पर रहें जिससे मौका पड़ने पर वो तुरंत एक दूसरे की मदद कर सकें।
इजराइली रणनीति
अब से पहले तक ऐसी रणनीति कभी नहीं अपनाई गई। बताया जाता है कि ऐसी रणनीति इजराइल में अपनाई जाती है। जहां हिंसा पर उतारू प्रदर्शनकारियों के बीच इजराइली कमांडो उनका हुलिया बनाकर घुस जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह के हालात को हैंडल करने में डोभाल की ओर से दी गई टिप्स दिल्ली पुलिस के लिए काफी काम कर गई, जिसकी वजह से जितनी भीड़ दिख रही थी, उस हिसाब से हंगामा नहीं हो पाया।
यदि पुलिस ने दिन में इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुछ कर दिया होता तो हालात पर काबू पाना मुश्किल होता। इसी मीटिंग में ये भी कहा गया था कि समुदाय विशेष के लोगों को मस्जिद के आसपास डयूटी में लगाया जाए, उनको धैर्य रखने के लिए भी निर्देश दिए गए थे, साथ ही ये भी कहा गया था कि प्रदर्शन करने वाले किसी भी तरह से उनको उकसाने की कोशिश करें मगर वो उनके उकसावे में न आएं। यदि उकसावे में आए तो हालात खराब हो जाएंगे।
इसी योजना पर हुआ काम
एनएसए अजीत डोभाल के साथ हुई मीटिंग के बाद इसी रणनीति पर काम किया गया। जिन जगहों पर उपद्रव हो रहा था, उन दोनों जगहों पर गुरूवार और शुक्रवार को इसी रणनीति के तहत काम किया गया जिससे स्थितियां कुछ कंट्रोल में रहीं। सीनियर अफसरों ने प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक भीड़ पर नजर रखने के लिए सादे कपड़ों में पुलिस वालों की इंट्री करा दी, ताकि हिंसा भड़काने वालों की उसी समय न सिर्फ पहचान की जाए, बल्कि उनके खिलाफ पुख्ता सबूत जुटा कर बाद में सख्त कार्रवाई की जा सके। साथ ही ये निर्देश भी दिए गए कि मोबाइल से रिकार्डिंग करते रहें, फोटो खींचते रहे। यदि जरूरत पड़े तो एक दूसरे की मदद के लिए तुरंत पहुंच जाएं। मगर अपनी पहचान को गुप्त बनाए रखें।
पीठ पर लदा पिठ्ठू बैग, हाथ में झंडा और हो गए शामिल
इसी रणनीति के तहत शुक्रवार को जामा मस्जिद, सीलमपुर, जाफराबाद, मुस्तफाबाद, दरियागंज जैसे इलाकों में पुलिसवाले सादे कपड़ों में आम लोगों की तरह पीठ पर पिठ्ठू बैग लटकाए प्रदर्शनकारियों के बीच शामिल रहे। इनमें से कई लोगों के हाथ में झंडा था तो कई के हाथ में बैनर। कुछ महिला पुलिसकर्मी भी इसी तरह से महिलाओं की टोली में शामिल रहीं।
इनके बैग में मोबाइल चार्जर, एक्सट्रा पावर बैंक और कुछ अन्य जरूरी सामान था जिससे जरूरत पड़ने पर भीड़ को काबू करने, किसी को पकड़ने में कोई समस्या न होने पाएं। इसी के साथ हिंसा फैलाने की बात उठने पर उसके बारे में तुरंत ही अफसरों को अलर्ट करना शामिल था। इस वजह से कुछ इलाकों में उपद्रव नहीं हो सका।
400 से अधिक पुलिसकर्मी रहे शामिल
मीटिंग के बाद मिले टिप्स के आधार पर पहले दिन लगभग 200 पुलिसकर्मियों को इनके बीच में लगाया गया, चूंकि शुक्रवार को जुमे की नमाज में बड़े पैमाने पर लोग शामिल होते हैं इस वजह से उस दिन 400 पुलिसकर्मी लगाए गए थे। इन सभी को सूचनाएं देने के लिए लगाया गया था। इन सूचनाओं के आधार पर पुलिस भी अपने एक्शन प्लान को अपडेट करती रही मगर अंधेरा होने के बाद उपद्रवियों ने हंगामा कर ही दिया और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।