CBI निदेशक पद की रेस में दिल्ली पुलिस आयुक्त सबसे आगे
दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा को सीबीआइ निदेशक के पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कुछ महीने पहले उनका नाम सीबीआइ व आइबी निदेशक दोनों के लिए भेजा गया था।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह] रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के निदेशक के लिए अनिल धस्माना व आइबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) निदेशक के लिए राजीव जैन के नाम की शनिवार को घोषणा होने के बाद अब नए सीबीआइ निदेशक के नाम को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा को सीबीआइ निदेशक के पद के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अनिल धस्माना मध्य प्रदेश कैडर के 1981 बैच और राजीव जैन झारखंड कैडर के 1980 बैच के आइपीएस (इंडियन पुलिस सर्विस) हैं। आलोक वर्मा यूटी (यूनियन टेरीटरी) कैडर के 1979 बैच के सबसे वरिष्ठ आइपीएस हैं। ऐसे में उनको सीबीआइ निदेशक बनाया जाना तय माना जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो 26 दिसंबर को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होनी है। पांच सदस्यीय कमेटी में शामिल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा में विपक्ष के नेता व पीएमओ आदि के अधिकारी बैठक में नाम तय करेंगे। आलोक वर्मा की छवि अब तक साफ-सुथरी रही है। कुछ महीने पहले उनका नाम सीबीआइ व आइबी निदेशक दोनों के लिए भेजा गया था।
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सीबीआइ निदेशक के लिए पहली बार 6 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों के नाम पैनल में भेजे गए हैं, जबकि तीन ही नाम भेजे जाते हैं। उनमें आलोक वर्मा का नाम शामिल है। आइबी निदेशक के लिए भी जिन 4 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों के नाम पैनल में भेजे गए थे उनमें आलोक वर्मा का नाम था।
सीबीआइ में जाने से वर्मा के सेवानिवृत्ति की उम्र दो साल बढ़ जाएगी। अगर वह दिल्ली पुलिस में ही रहते हैं तो अगले साल 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सीबीआइ निदेशक के लिए 1979-1981 बैच के देश के जिन 6 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों के नाम पैनल में भेजे गए हैं उनमें सबसे प्रबल दावेदार आलोक वर्मा को ही माना जा रहा है, जबकि दूसरे नंबर पर रूपक कुमार दत्ता हैं।
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दत्ता 1981 बैच के कर्नाटक कैडर के अधिकारी हैं। वह सीबीआइ में ही स्पेशल निदेशक पद पर तैनात हैं। ज्ञात हो कि दैनिक जागरण ने 3 नवंबर के अंक में प्रकाशित किया था कि आइबी निदेशक के लिए जिन चार नामों को भेजा गया है उनमें 1980 बैच के राजीव जैन का नाम रेस में सबसे आगे है। वह आइबी में ही स्पेशल निदेशक के पद पर थे। सामान्य तौर पर आइबी में निदेशक बनने का मौका उन्हीं को दिया जाता है जो पहले से वहां तैनात रहे हों। आलोक वर्मा आइबी में नहीं रहे हैं। इसलिए उनके नाम पर सहमति नहीं बनी।