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Delhi Palam Murder Case: कहीं आपका बच्चा भी न बन जाए 'केशव', ध्यान रखें मनोचिकित्सक की ये 4 बातें

बात माता-पिता के हाथों से निकल जाए उससे पहले कुछ कदम उठाने जरूरी हैं। किशोर उम्र में नजर रखना जरूरी है। उसके दोस्त कैसे हैं? यह जानना बेहद जरूरी है क्योंकि संगत का असर व्यवहार और आचरण पर पड़ता है।

By Gautam Kumar MishraEdited By: JP YadavPublished: Thu, 24 Nov 2022 09:18 AM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2022 10:48 AM (IST)
Delhi Palam Murder Case: कहीं आपका बच्चा भी न बन जाए 'केशव', ध्यान रखें मनोचिकित्सक की ये 4 बातें
उपचार सही से हो तो ठीक हो सकता है मरीज।

नई  दिल्ली, जागरण संवाददाता। पश्चिमी दिल्ली के पालम इलाके में 25 वर्षीय युवक ने दादी दीवानो देवी, पिता दिनेश सैनी, मां दर्शन सैनी और बहन उर्वशी की हत्या इसलिए कर दी, क्योंकि वह उसे नशा करने के लिए पैसे नहीं दे रहे थे। इस पर अदिति महाविद्यालय में मनोविज्ञान की सहायक प्रोफेसर डा. प्रिया कंवर का कहना है कि कई बार माता-पिता अपने बच्चों की बुराई के बारे में अपने बच्चों या अपने करीबियों से खुलकर बात करने से हिचकते हैं। खासकर बात जब नशे की लत की हो।

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1. गलत आदतों के बारे में जरूर बताएं

लोगों को लगता है कि बच्चे की इस लत के बारे में यदि दूसरों से चर्चा होगी तो इससे बदनामी होगी। लोग यह भी समझते हैं कि यदि अच्छे बच्चे से नशे की लत के बारे में चर्चा की जाए तो वह नशे की लत का शिकार हो सकता है। जबकि होना यह चाहिए कि बच्चों से इसपर शुरुआत से ही चर्चा होनी चाहिए।

2. बात करें माता-पिता

डा. प्रिया कुंवर का कहना है कि माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों पर नजर रखें। वह कहां जाते हैं और कौन से उनके दोस्त हैं। उनके दोस्तों के संगति कैसी है, यह जानना भी जरूरी होता है। इसके साथ ही दुष्परिणामों से अवगत कराना चाहिए ताकि वह इसकी गिरफ्त में ही न आए।

3. लक्षण नजर आने पर होनी चाहिए काउंसलिंग

प्रिया कंवर का कहना है कि लोग चर्चा तब करते हैं जब पानी से सिर से ऊपर बहने लगता है, तब माता- पिता की नींद टूटती है और वे काउंसिलिंग या नशामुक्ति केंद्र की शरण में जाते हैं। जैसे ही बच्चे में नशे की लत के लक्षण नजर आएं, उसकी सही काउंसलिंग शुरू हो जानी चाहिए। अपने स्वजन से चर्चा कर उसे सही राह पर लाने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे मामलों में सामूहिक प्रयास कई बार रंग लाते हैं। लोगों को यह भी लगता है कि एक बार नशा मुक्ति केंद्र से जब कोई बाहर निकल जाता है तो वह पूरी तरह दुरुस्त हो जाता है। यह सोच भी सही नहीं है।

4.  उपचार सही से हो तो ठीक हो सकता है मरीज

नशा मुक्ति केंद्र से निलकने के बाद भी समय समय पर पीड़ित की काउंसिलिंग की जानी चाहिए। यदि नशे का आदी कोई व्यक्ति हत्या कर रहा है और वारदात के बाद मौके से फरार होने की कोशिश कर रहा है तो इसका अर्थ हुआ कि उस व्यक्ति का दिमाग उसके वश में है और यदि उसका सही तरीके से उपचार हो, तो उसे ठीक किया जा सकता है। जरूरत केवल नकारात्मक दिशा में चल रही बातों को सकारात्मक दिशा में लाने की है। 

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